खेल डेस्क। 23 मार्च.. ये वो तारीख है जिसे भारतीय क्रिकेट प्रशसंक शायद ही कभी भूल पाएंगे। आज ही के दिन 14 साल पहले ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय टीम का दूसरी बार विश्व कप जीतने का सपना तोड़ा था।
सौरव गांगुली के नेतृत्व वाली भारतीय टीम को 2003 विश्व कप फाइनल में कंगारू टीम से शिकस्त को सामना करना पड़ा था। भारत ने इससे पहले 1983 में महान ऑलराउंडर कपिल देव की कप्तानी में पहला विश्व कप जीता था। हालांकि 2011 विश्वकप में कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने भारत को दूसरा विश्व कप दिलवाया था।
1983 में विश्वकप जीतने के 20 साल बाद भारतीय टीम ने क्रिकेट के इस महाकुंभ के फाइनल में प्रवेश किया था। 23 मार्च 2003 को दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग के मैदान पर फाइनल मुकाबला खेला गया।
मैच में टॉस जीतकर भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने ऑस्ट्रेलिया को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित करने की बड़ी भूल की। यहीं भूल भारतीय टीम को बड़ा दर्द भी दे गई।
कंगारू टीम के कप्तान रिकी पोंटिंग ने खिताबी मुकाबले में 140 रन की यादगार पारी खेल अपनी टीम का स्कोर 359 रन तक पहुंचा। इस विशाल स्कोर के सामने भारतीय टीम शुरुआत से ही दबाव में आ गई।
अब तक इस टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करने वाले मास्टर बलास्टर सचिन तेंदुलकर के चार रन पर पवेलियन लौटने के बाद पूरी भारतीय टीम 39.2 ओवर में केवल 234 रन पर ही सिमट गई।
केवल विस्फोटक बल्लेबाज वीरेन्द्र सहवाग (82 रन) ही भारतीय टीम की ओर से संघर्ष कर सके। इस तरह भारत को मैच में 125 रन की बड़ी शिकस्त कर सामना करना पड़ा। भारत की इस हार से उस दिन पूरे देश में मातम जैसा माहौल हो गया था।