नई दिल्ली। क्रिकेट और भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी अपने सादगी भरे व्यवहार और जमीन से जुड़े रहने के कारण हमेशा चर्चा में रहते हैं। अपने परिचित और दोस्तों में आज भी धोनी ‘डाउन टू अर्थ’ कहे जाते हैं। धोनी आज चाहे कितनी ही ऊंचाईयों पर पहुंच गए हैं।
वो अपने दोस्तों और करीबियों को कभी नहीं भूलते। धोनी सबसे आज भी उतनी ही आत्मीयता से मिलते हैं, जैसे वो कभी साधारण इंसान के तौर पर मिलते थे। धोनी की इस शख्सियत का एक नजारा तब देखने को मिला जब उन्हें रेलवे में नौकरी के दिनों का चायवाला दोस्त ‘थॉमस’ मिल गया और वो उसे फौरन पहचान गए। इतना ही नहीं उस दोस्त को धोनी ने फौरन गले भी लगा लिया।
दरअसल, धोनी कोलकाता में विजय हजारे ट्रॉफी खेलने पहुंचे हुए हैं। जैसे ही खेल के बाद वो स्टेडियम से निकले तो एक साधारण सा दिखने वाला शख्स उनका इंतजार कर रहा था। उस शख्स पर जैसे ही धोनी की नजर पड़ी तो उसे फौरन पहचान गए और गले लगा लिया।
इतना ही नहीं धोनी अपने संघर्ष के दिनों के दोस्त ‘थॉमस’ को डिनर पर भी साथ ले गए और सेल्फी भी ली। धोनी की इस आत्मीयता और प्यार से ‘थॉमस’ भावुक हो गए और इस दिन को अपनी जिंदगी का सबसे यादगार दिन बताया।
थॉमस से धोनी की दोस्ती थोड़ी जान-पहचान से शुरू हुई थी। जब धोनी रेलवे में टीई (टिकट इंस्पेक्टर) हुआ करते थे। धोनी की पोस्टिंग जब खडग़पुर रेलवे स्टेशन पर थी। अक्सर धोनी थॉमस की टी स्टॉल पर चाय पीने जाया करते थे। तब से धोनी की थॉमस से जान-पहचान दोस्ती के रूप में बदल गई और वो अच्छे दोस्त बन गए।
अपने दोस्त से इस भावुक मुलाकात पर थॉमस ने कहा कि मुझे धोनी से इतना प्यार मिला जो मैं कभी नहीं भूल सकता। खडग़पुर स्टेशन से शुरू हुई यह दोस्ती आज मुझे बहुत कुछ दे गई। धोनी का यह प्यार मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा। अब मैं अपनी स्टॉल का नाम भी धोनी के नाम पर रखूंगा। गौरतलब है कि धोनी पहले भी अपने पुराने दोस्त संतोष का भी इलाज कराने में उनकी मदद कर चुके हैं। इलाज में धोनी ने हॉस्पिटल का सारा खर्चा उठाया था। हालांकि, लंबी बीमारी के बाद संतोष बच नहीं पाए और उनका निधन हो गया।
धोनी की गाड़ी रेल की पटरियों से निकलकर क्रिकेट के ग्राउंड पर सरपट दौडऩे लगी। आज धोनी कहां हैं यह बताने की जरूरत नही हैं। लेकिन धोनी ने अपने पुराने दोस्त से जिस तरह आत्मीयता और प्यार दिखाया वो बात वाकई गौर करने लायक है और उन लोगों के एक मिसाल है जो थोड़ी कामयाबी पाकर अपने लोग और जमीन भूल जाते हैं। कामयाबी हो तो ऐसी जो कभी सिर चढक़र ना बोले और हजारों की भीड़ में भी खड़े किसी अपने को पहचानकर ले और प्यार से गले लगा ले।