जयपुर। 26 अप्रैल को होने वाले राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) के चुनाव टल गए हैं। चुनाव की पिच पर दिग्गजों के उतरने से पलटे घटनाक्रम में चुनाव रद्द होने की सूचना रात बारह बजे आई। चुनावी उठापटक शनिवार सुबह से ही शुरु हो गई थी जब रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव रामनिवास ने आरसीए के नए संविधान को मानने से इंकार करते हुए इसे वापस लौटा दिया और चुनावी तैयारियों को नामंजूर कर दिया।
घटनाक्रम ने उस समय नया मोड़ ले लिया जब आरसीए उपाध्यक्ष महमूद आब्दी वकील सुदीप के साथ चुनाव अधिकारी और लोकपाल से विचार विमर्श करने पहुंचे। इसके बाद रात 12 बजे यह साफ हो गया कि आरसीए चुनाव टाल दिए गए हैं। साथ ही साथ चुनाव अधिकारी ने नामांकन हीं लेने की भी द्योषणा कर डाली। शनिवार यानि 22 अप्रैल को नामांकन का आखिरी दिन था। नामांकन के आखिरी दिन चुनाव का टल जाना एक तरह से सवाल खड़े करता है।
सविंधान और कायदे कानून की इस लड़ाई में कहीं ना कहीं दिग्गजों के कूदने से चुनाव टलने का कारण माना जा रहा है। आरसीए चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता सीपी जोशी के कूदने से इस चुनाव का चेहरा बदल गया। सीपी जोशी का आखिरी दिन नामांकन भरना तय माना जा रहा था। ललित मोदी के बेटे रुचिर मोदी भी चुनाव में प्रबल दावेदार थे।
लेकिन कयास यह लगाए यह जा रहें हैं कि सीपी जोशी के चुनाव मैदान में उतरने से ललित मोदी पैनल (गुट) को कहीं ना कहीं हारने का डर सताने लगा था। सीपी जोशी दिनभर जयपुर क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों से मिलत रहे और गंभीर विचार-विमर्श करते रहे। लेकिन दोपहर होते होते तो चुनावी उठापटक में नया घटनाक्रम सामने आया जब महमूद आब्दी वकील सुदीप के साथ चुनाव अधिकारी ए.के. पांडे से मिलने पहुंच गए और घंटो तक चली मीटिंग में विचार-विमर्श करते रहे। इस दौरान उन्होंने लोकपाल ज्ञानसुधा मिश्रा से भी गहन विचार-विमर्श किया।
हालांकि उन्होंने इसका कारण चुनाव को लेकर चर्चा होना बताया। लेकिन, अंदरखाने से खबर तो यह आ रही है कि ललित मोदी पैनल के कई लोग सीपी जोशी को समर्थन देने को तैयार थे। सीपी जोशी जैसे कद्दावर नेता के सामने ललित मोदी पैनल को शायद जीत को लेकर संशय हो इसलिए चुनाव टालने का एक कारण यह भी हो।
अब बात अगर रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव की करें तो उन्होंने आरसीए का नया संविधान मानने से इंकार कर दिया है। रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव स्पोर्ट एक्ट के नियुक्त होता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित बीसीसीआई की लोढ़ा कमेटी के नए नियम के तहत बनाए गए आरसीए के नए संविधान को रजिस्ट्रार ने मानने से इंकार कर दिया। रजिस्ट्रार का कहना था कि स्पोर्टस एक्ट से नया संविधान बिल्कुल मेल नहीं खाता।
जबकि सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा कमेटी की हर सिफारिश को बीसीसआई को अपनाने के लिए कहा है कि और शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि अगर कोई जिला क्रिकेट संघ इस नियम को फॉलो नहीं करता है तो बीसीसीआई उसकी सारी सुविाधाएं और बजट रोक ले। रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव ने बहुत पहले ही आरसीए को इस संविधान के मुख्य एक्ट पर गौर करने को कहा था लेकिन आरसीए के ढीले रवैये से यह मामला यूं ही चलता रहा।
लोढ़ा समिति की सिफारिशों के बाद स्पोर्टस परिषद ने भी एक कमेटी गठित कर स्पोर्टस एक्ट और लोढ़ा समिति की सिफारिशों को मिलाकर नए संविधान में बदलाव करने के लिए नई पहल की गई थी। यह कमेटी एनके जैन की अध्यक्षता में गठित की गई थी।
पांडे ने दावा किया कि आरसीए ने उन्हें चुनावों को निलंबित करने के लिए कहा। उन्होंने चुनावों की कोई नई तिथि नहीं बताई। इस फैसले पर जोशी गुट ने आपत्ति जताई है और कहा कि वे विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहे हैं जिनमें अदालत जाना भी शामिल है।
जोशी गुट के एक सदस्य ने कहा, पूर्व अध्यक्ष सी पी जोशी नामांकन के लिए तैयारी कर चुके थे और बहुमत हमारे साथ है ऐसे में यह चुनाव रद्द करना एक कुटिल योजना के तहत किया गया। वे जानते थे कि रूचिर मोदी ललित मोदी के पुत्र हारने वाले हैं और इसलिए उन्होंने यह कदम उठाकर उन्हें बचा दिया।
उन्होंने कहा, आरसीए अधिकारियों ने दो महीने पहले विशेष आम सभा में संशोधन स्वीकार किए थे और वे लोढ़ा समिति की सिफारिशों के बारे में भी जानते हैं। उन्होंने तब कोई कदम क्यों नहीं उठाया। इसके अलावा पंजीयक ने भी फैसला करने में देर लगायी। आरसीए और पंजीयक दोनों मिले हुए हैं।
उन्होंने कहा, हम चुप नहीं बैठेंगे। हमारे पास बहुमत है। एक बार चुनावों की घोषणा करने और प्रक्रिया शुरू होने के बाद इन्हें रोका नहीं जा सकता है। इन्हें पूरा करना होता है। हम अदालत जाएंगे और यहां तक आपात बैठक बुलाकर कार्रवाई कर सकते हैं।
आरसीए के प्रेसीडेंट और पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी पर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लांड्रिंग के आरोपों के कारण निर्वासन की जिंदगी जी रहे हैं और अभी लंदन में हैं। ललित मोदी के कारण आरसीए को बीसीसीआई ने सस्पेंड कर रखा है।