नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के नये आदेश का आज कई सीनियर अधिकारियों ने स्वागत किया है जिसमें वो अधिकारी भी शामिल हैं जिनका प्रशासनिक कैरियर फिर से पटरी पर आ सकता है।
कुछ अनुभवी प्रशासक जैसे निरंजन शाह काफी खुश हैं, हालांकि इससे उनके लिये ज्यादा अंतर पैदा नहीं होगा तथा दिलीप वेंगसरकर ने इस कदम का स्वागत किया क्योंकि इससे ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ से गुजरने के बाद उन्हें बीसीसीआई में फिर से आने का मौका मिल जायेगा।
टीएनसीए के अनुभीव काशी विश्वनाथन के लिये क्रिकेट में उनका प्रशासनिक कैरियर ‘खत्म’ है लेकिन पूर्व भारतीय टीम मैनेजर विश्वरूप डे ‘खुश’ हैं कि उनके पास कुछ मौका है।
उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने आज कहा कि लोढा समिति के कार्यकाल पर सुझावों के आधार पर शीर्ष अदालत का 18 जुलाई का आदेश अब अधिकारियों का मिलाकर कार्यकाल 18 साल बीसीसीआई में नौ साल और राज्य संघ में नौ साल का होगा।
सौराष्ट्र के अनुभवी शाह का बीसीसीआई में कैरियर खत्म हो गया है, लेकिन उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से कार्यकाल में संशोधन करके मिलाकर 18 साल किया जाना स्वागत योग्य कदम है। बीसीसीआई ने कभी भी लोढा सुधारों का विरोध नहीं किया। हमें सिर्फ 70 साल की उम्र के संबंध में, एक राज्य एक मत और दो कार्यकाल के बीच में आराम दिये जाने के संबंध में मुद्दे थे। आप नागालैंड को कैसे मत का अधिकार दे सकते हो और 41 बार की रणजी चैम्पियन को मत देने का अधिकार नहीं दे सकते।’’
वेंगसरकर को ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ से गुजरना होगा, वह खुश हैं कि कम से कम उनके पास भविष्य में बीसीसीआई का अधिकारी बनने का मौका है।
वेंगसरकर ने कहा, ‘‘पूर्व क्रिकेटर अपने अनुभवी वर्षों को देखते हुए क्रिकेट प्रशासन में काफी कुछ कर सकते हैं। मैं इस कदम का स्वागत करता हूं। मैं बीसीसीआई में भविष्य में अधिकारी बन सकता हूं या नहीं, यह मुझ पर निर्भर नहीं है लेकिन मैं हमेशा भारतीय क्रिकेट की सेवा के लिये उपलब्ध हूं। ’’
हालांकि पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के करीबी टीएनसीए के पूर्व सचिव काशी विश्वनाथन ने कहा कि उनके लिये यह कोई मायने नहीं रखता क्योंकि वह बीसीसीआई में कभी नहीं आ पायेंगे।
विश्वनाथन ने कहा, ‘‘मैं 70 साल का नहीं हूं, लेकिन आपको बता दूं कि मैं क्रिकेट प्रशासन से अब आगे नहीं जुडऩा चाहता। मैं बीसीसीआई में वापसी नहीं करने वाला। ’’
डीडीसीए के पूर्व उपाध्यक्ष चेतन चौहान ने कहा कि वह उन सभी के लिये खुश हैं जिन्हें मौका मिलेगा।
पूर्व सलामी बल्लेबाज ने कहा, ‘‘यह मेरे लिये मायने नहीं रखता क्योंकि मैं जल्द ही 70 साल का हो जाउंगा लेकिन उन सभी के लिये खुश हूं जिनके पास नौ साल या कुछ साल बचे हैं। सच कहूं तो 18 साल भी ज्यादा है। 15 साल अच्छा होता। ’’
बंगाल क्रिकेट संघ के विश्वरूप डे और संयुक्त सचिव सुबीर गांगुली को अनिवार्य ‘कूलिंग ऑफ’ से गुजरना होगा लेकिन उन्होंने इसे अपने लिये मौका करार किया।
डे ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर भारतीय टीम के मैनेजर थे, उन्होंने कहा, ‘‘कम से कम मेरा प्रशासनिक कैरियर खत्म नहीं हुआ है। मेरे पास बीसीसीआई में अभी नौ वर्ष बाकी हैं और ‘कूलिंग ऑफ’ के बाद मेरा प्रशासनिक कैरियर दोबारा शुरू हो जायेगा। ’’
संयुक्त सचिव सुबीर गांगुली ने कहा, ‘‘कम से कम अब हमारे लिये मौका तो है। ’’