हिन्दू धर्म के अधिकतर सभी रिवाज विज्ञान से ओत-प्रोत होते हैं, इसलिए यह हजारों सालों से चले आ रहे होते हैं। इन्ही में से है एक चरण स्पर्श की परम्परा जो बहुत प्राचीन है, अधिकतर हम लोग चरण का स्पर्श आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए ही करते हैं। हमें सिखाया जाता है कि अपने से बड़े लोगों का सम्मान करना चाहिए और इसी सम्मान में हमें उनके चरण स्पर्श करने चाहिए। लेकिन क्या आप जानते है कि चरण स्पर्श के पीछे वैज्ञानिक के साथ ही मनोवैज्ञानिक कारण भी हैं। जिनसे सिद्ध होता है कि हमें कैसे चरणस्पर्श करने से फायदा होता है। चलिए आपको बताते हैं इन कारणों के बारे में......
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चरण स्पर्श करने के पीछे छिपा है विज्ञान :-
उम्र के साथ-साथ शरीर की ऊर्जा का भी विकास होता है। इसलिए जब हम किसी बड़े के पैर छूते है तो हम अपने हाथ उनके पैरों पर रखते है और वो अपना हाथ हमारे सिर पर रखते हैं। जिससे विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा का चक्र बन जाता है और उनकी ऊर्जा हमारे अंदर प्रवाहित होने लगती है। इस कारण चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेने से आपके शारीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
मशहूर वैज्ञानिक न्यूटन के नियम के अनुसार, दुनिया में सभी चीजें गुरुत्वाकर्षण के नियम से बंधी हैं। इसमें सिर को उत्तरी धु्रव और पैरों को दक्षिणी धु्रव माना गया है। मतलब गुरुत्व या चुंबकीय ऊर्जा हमेशा उत्तरी धु्रव से दक्षिणी ध्रुव की ओर प्रवाहित होकर अपना चक्र पूरा करती है। इसी कारण प्रत्येक शरीर के दक्षिणी धु्रव यानी पैरों में यह ऊर्जा असीमित मात्रा में स्थिर हो जाती है और वहां ऊर्जा का केंद्र बन जाता है। पैरों से हाथों द्वारा इस ऊर्जा के ग्रहण करने को ही हम चरण स्पर्श कहते हैं। चरण स्पर्श कर बड़ों का अभिवादन करने से आयु, विद्या, यश और बल में बढ़ोतरी होती है।
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चरण स्पर्श का मनोवैज्ञानिक महत्व :-
इसका मनोवैज्ञानिक महत्व यह है कि जिन लक्ष्यों की प्राप्ति को मन में रखकर बड़ों को प्रणाम किया जाता है, चरण स्पर्श करने से उस लक्ष्य को पाने का बल मिलता है। यह एक प्रकार का व्यायाम भी है। पैर छूने से शारीरिक कसरत होती है। झुककर पैर छूने, घुटने के बल बैठकर प्रणाम करने से शरीर लचीला बनता है, साथ ही आगे की ओर झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद है।
(Source- Google)
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