हिन्दू धर्म में किसी भी धार्मिक कार्य को करते समय वहां उपस्थित सभी व्यक्तियों के मस्तिष्क पर तिलक लगाया जाता है। किसी भी शुभ कार्य पर जाते समय भी माथे पर तिलक लगाया जाता है। राखी और दूज पर बहन के द्वारा भाई के माथे पर तिलक लगाया जाता है। माथे पर तिलक लगाना एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही है।
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माथे पर हमेशा चंदन, कुमकुम, मिट्टी, हल्दी, भस्म आदि का ही तिलक लगाया जाता है। किसी के माथे पर तिलक लगा देखकर मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर माथे पर तिलक क्यों लगाया जाता है। इसे लगाने के पीछे केवल धार्मिक कारण ही हैं या फिर इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हुए हैं। आइए जानते हैं इन सभी प्रश्नों के उत्तर...
तिलक लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है, क्योंकि इससे व्यक्ति के आत्मविश्वास और आत्मबल में भरपूर इजाफा होता है।
ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने से मस्तक में तरावट आती है, लोग शांति व सुकून अनुभव करते हैं। तिलक लगाने से कई तरह की मानसिक बीमारियां दूर होती हैं।
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तिलक लगाने से दिमाग में सेराटोनिन और बीटा एंडोर्फिन का स्राव संतुलित तरीके से होता है, जिससे उदासी दूर होती है और मन में उत्साह जागता है।
हल्दी से युक्त तिलक लगाने से त्वचा शुद्ध होती है, हल्दी में एंटी बैक्ट्रयिल तत्व होते हैं, जो रोगों से मुक्त करता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। लोग कई तरह के संकट से बच जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, तिलक लगाने से ग्रहों की शांति होती है।
चंदन का तिलक लगाने वाले का घर अन्न-धन से भरा रहता है और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।
तिलक लगाने से मस्तिष्क के अंदर के दिव्य प्रकाश की अनुभूति होती है और साथ ही हमारा दिमाग एकाग्र रहता है।
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