भगवान कृष्ण ने क्यों किया कर्ण का अंतिम संस्कार

Samachar Jagat | Thursday, 08 Dec 2016 01:20:11 PM
Why did Lord Krishnas funeral aural karna

ये तो सभी जानते है की कर्ण की माता कुंती थी और सूर्य से उन्हें ये संतान वरदान के रूप में प्राप्त हुई थी। कुंती अविवाहित होने के कारण इस संतान को अपने पास नहीं रख सकती थी इसलिए उसने इसे नदी में प्रवाहित कर दिया था। उन्हें रथ चलाने वाले एक सारथी ने पाला था। कर्ण को सूतपुत्र कहा जाता है, महाभारत के युद्ध में कृष्ण ने पांडवों का साथ दिया था। कर्ण ने अपनी मित्रता निभाते हुए दुर्योधन का साथ दिया। क्या आपको पता है कर्ण की मृत्यु के बाद कृष्ण ने उनका अंतिम संस्कार अपने हाथों में किया। आइए आपको विस्तार से बताते हैं इस कथा के बारे में...

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जब कर्ण मृत्युशैया पर लेटे हुए थे तब भगवान कृष्ण उनके पास आए और उनकी दानवीर होने की परीक्षा लेने लगे। जब कृष्ण ने कर्ण से दान मांगा तो कर्ण ने कहा कि उसके पास देने के लिए कुछ भी नहीं है। भगवान कृष्ण ने कर्ण से उनका सोने का दांत मांग लिया। कर्ण ने अपने पास पड़े पत्थर को उठाकर उससे अपना दांत तोड़ा और भगवान कृष्ण को दे दिया। कर्ण ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि उनसे बड़ा दानवीर पूरी दुनिया में कोई नहीं है। इससे कृष्ण काफी प्रभावित हुए और उन्होंने कर्ण से कहा कि वह उनसे कोई भी वरदान मांग़ सकते हैं।

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कर्ण ने कृष्ण से कहा कि एक निर्धन सूत पुत्र होने की वजह से उनके साथ बहुत छल हुए हैं। अगली बार जब कृष्ण धरती पर आएं तो वह पिछड़े वर्ग के लोगों के जीवन को सुधारने के लिए प्रयत्न करें। इसके साथ कर्ण ने दो और वरदान मांगे। दूसरे वरदान के रूप में कर्ण ने यह मांगा कि अगले जन्म में कृष्ण उन्हीं के राज्य में जन्म लें और तीसरे वरदान में उन्होंने कृष्ण से कहा कि उनका अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर होना चाहिए जहां कोई पाप ना हो। पूरी पृथ्वी पर ऐसा कोई स्थान नहीं होने के कारण कृष्ण ने कर्ण का अंतिम संस्कार अपने ही हाथों पर किया। इस तरह दानवीर कर्ण मृत्यु के पश्चात साक्षात वैकुण्ठ धाम को प्राप्त हुए।

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