हनुमान के पिता का नाम केसरी था और उनकी माता अंजना थीं। केसरी और अंजना के पुत्र हनुमान को पवन सुत या पवन पुत्र क्यों कहा जाता है। इसके बारे में एक कथा प्रसिद्ध है आइए आपको बताते हैं इस कथा के बारे में...
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पुराणों की कथानुसार हनुमान की माता अंजना संतान सुख से वंचित थी। प्रयास करने के बाद भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। इस दुःख से पीड़ित अंजना मतंग ऋषि के पास गईं, तब मंतग ऋषि ने उनसे कहा-पप्पा सरोवर के पूर्व में एक नरसिंहा आश्रम है, उसकी दक्षिण दिशा में नारायण पर्वत पर स्वामी तीर्थ है वहां जाकर उसमें स्नान करके, बारह वर्ष तक तप एवं उपवास करना पड़ेगा तब जाकर तुम्हें पुत्र सुख की प्राप्ति होगी।
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अंजना ने मतंग ऋषि एवं अपने पति केसरी से आज्ञा लेकर तप किया, इस तप के दौरान अंजना ने बारह वर्ष तक केवल वायु का ही भक्षण किया, वायु देवता अंजना की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्होंने अंजना को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। इस वरदान के परिणामस्वरूप चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा को अंजना को पुत्र की प्राप्ति हुई। वायु के द्वारा उत्पन्न इस पुत्र को ऋषियों ने वायु पुत्र या पवन पुत्र नाम दिया।
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