महाभारत में विदुर का नाम सभ्य पुरूषों में लिया जाता है, विदुर एक अच्छे इंसान थे। क्या आप जानते हैं एक श्राप के कारण यमराज को पृथ्वी पर विदुर के रूप में अवतरित होना पड़ा, अब आप ये जरूर जानना चाहेंगे कि जिन यमराज से सभी डरते हैं आखिर उनको श्राप किसने दिया और श्राप देने के पीछे क्या कारण है। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.....
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पुराणों के अनुसार महाभारत में मांडव्य ऋषि का वर्णन आता है, एक बार राजा ने भूलवश न्याय में चूक क़र दी और अपने सेनिको को ऋषि मांडव्य को शूली में चढ़ाने का श्राप दिया परन्तु जब बहुत लंबे समय तक भी शूली में लटकने पर ऋषि के प्राण नहीं गए तो राजा को अपनी भूल का अहसास हुआ तथा उन्होंने ऋषि मांडव्य को शूली से उतरवाया तथा अपनी गलती की क्षमा मांगी।
इसके बाद ऋषि माण्डव्य यमराज से मिलने गए तथा उनसे पूछा की किस कारण मुझे झूठे आरोप में सजा मिली। तब यमराज ने ऋषि को बताया कि जब आप 12 वर्ष के थे तो आपने एक छोटे से कीड़े के पूछ में सीक चुभाई थी जिस कारण आपको यह सजा भुगतनी पड़ी।
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तब ऋषि माण्डव्य ने यमराज से कहा की किसी को भी 12 वर्ष के उम्र में इस बात का ज्ञान नहीं रहता की क्या धर्म है और क्या अधर्म क्योकि की तुमने एक छोटे अपराध के लिए मुझे बहुत बड़ा दण्ड दिया है अतः मैं तुम्हे श्राप देता हूं की तुम शुद्र योनि में दासी के पुत्र के रूप में जन्म लोगे। माण्डव्य ऋषि के इस श्राप के कारण यमराज को विदुर के रूप में जन्म लेना पड़ा।
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