जब भी भगवान शिव की बात होती है तो हम शिव और शंकर को एक ही समझ लेते हैं लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। शिव और शंकर में भिन्नता है। इन दोनों की प्रतिमाएं भी अलग-अलग आकार वाली होती हैं। शिव की प्रतिमा अण्डाकार अथवा अंगुष्ठाकार होती है जबकि महादेव शंकर की प्रतिमा शारारिक आकार वाली होती है। इसके अलावा भी शिव और शंकर में अनेक अंतर है। चलिए हम आपको बताते हैं कि भगवान शिव और शंकर अलग-अलग कैसे हैं ...
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महादेव शंकर :-
यह ब्रह्मा और विष्णु की तरह सूक्ष्म शरीरधारी हैं। इन्हें ‘महादेव’ कहकर पुकारा जाता है परन्तु इन्हें ‘परमात्मा’ नहीं कहा जा सकता।
महादेव ब्रह्मा तथा विष्णु की तरह ही सूक्ष्म लोक में यानि शंकरपुरी में वास करते हैं।
ब्रह्मा तथा विष्णु की तरह यह भी परमात्मा शिव की रचना है।
यह केवल महाविनाश का कार्य करते है, स्थापना और पालना के कर्तव्य इनके अधिकार में नहीं हैं।
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परमपिता परमात्मा शिव :-
यह चेतन ज्योति-बिन्दु है और इनका अपना कोई स्थूल या सूक्ष्म शरीर नहीं है, यह परमात्मा है।
परमात्मा शिव ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर के लोक, अर्थात सूक्ष्म देव लोक से भी परे ‘ब्रह्मलोक’ (मुक्तिधाम) में वास करते है।
परमात्मा शिव ने ही ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर की रचना की है।
परमात्मा शिव के हाथों में ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर को दी हुई तीनों शक्तियां हैं ये जब चाहें जीव की उत्पत्ति कर सकते हैं और जब चाहें संहार कर सकते हैं।
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