भगवान राम चौदह वर्षां तक वन में रहे, इसी काल में रावण ने देवी सीता का छल से हरण कर लिया और जब भगवान राम सीता को ढूंढते हुए मलय पर्वत पर पहुंचे, वहां पर उनकी मुलाकात वानर राज सुग्रीव से हुई। सुग्रीव अपने बड़े भाई बाली के डर से पर्वत पर छिपा हुआ था।
जानिए! कैसे हिरणी के गर्भ से ऋषि ऋष्यश्रृंग ने लिया जन्म
जब राम ने सुग्रीव को सीता हरण की बात बताई तो सुग्रीव ने कुछ आभूषण राम को दिए, विमान से लंका जाते समय जिन्हें देवी सीता ने लंकापति रावण की नजरों से बचाकर वहां गिरा दिया था। इन आभूषणों को देखकर भगवान राम ने लक्ष्मण से पूंछा तुम देवी सीता के बाजूबंद, कर्णफूल, हार और पायलों को देखो क्या तुम इन्हें पहचानते हो।
द्रविड़ शैली में बनाया गया है ये मंदिर
भगवान राम के इस प्रश्न को सुनकर लक्ष्मण जी रोते हुए बोले, हे प्रभु मैं देवी सीता के न तो बाजूबंद को जानता हूं, न उनके कुंडल पहचानता हूं। मैं तो देवी सीता के पैरों की वंदना करता हूं इसलिए मेरी दृष्टि हमेशा उनके चरणों पर रहती है। मैं केवल उनके चरणों में रहने वाली पायलों को पहचानता हूं। लक्ष्मण जी की इन बातों को सुनकर भगवान राम की आंखों से आंसू छलक गए और लक्ष्मण को गले लगाकर रोने लगे।
इन ख़बरों पर भी डालें एक नजर :-
श्रीनगर जाएं तो इन जगहों पर जाना ना भूलें
रात को घूमने का मजा लेना है तो जाएं दिल्ली की इन जगहों पर
किसी एडवेंचर से कम नहीं है हिमालय के पहाड़ों में ट्रेकिंग करना