अजमेर। ख्वाजा साहब के 805वें उर्स में हर बार की तरह इस बार भी शिरकत करने के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर की पैदल यात्रा करके करीब ढाई हजार मस्त कलंदर 27 मार्च को अजमेर के निकट गगवाना गांव पहुंचेंगे।
ख्वाजा साहब के उर्स पर यह कलंदर करीब 800 सालों से चली आ रही अपनी परंपरा का निर्वाह करने के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर की पैदल यात्रा करके यहाँ आते है। हैरत अंगेज कारनामें दिखाते हुए हर साल कलंदरो का यह जत्था जगह-जगह उर्स शुरू होने का संदेश देते हुए यहां आता हैं।
छड़ी पेश करते कलंदरों का जत्था
हर साल की तरह इस साल भी कलंदरों का यह जत्था 27 मार्च को अजमेर के निकट गगवाना गांव पहुँचेगा। जिसके बाद यह कलंदर 28 मार्च को जुलूस के रूप में गरीब नवाज की दरगाह पर आ कर छड़ी मुबारक पेश करेंगे। खादिम सैयद खुश्तर चिश्ती ने बताया कि ढाई हजार मस्त कलंदरो का यह जत्था नई दिल्ली महरोली स्थित ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह से 16 मार्च को रवाना हुआ था।
अभी यह जत्था अलवर तक पहुंच गया हैं। दिल्ली से गर्मी में नंगे पांव चलते चलते से भले ही पैरों में छाले पड़ जाते हो लेकिन इन कलंदरों की आस्था अटूट रहती है, जिसको निभाते हुए यह कलंदर आठ सौ सालो से यहाँ लगातार बिना किसी नागा के हर साल यहाँ आते है। इस साल इन मलंगों और मस्त कलंदरों का गगवाना में सर्वधर्म एकता समिति की आेर से स्वागत किया जाएगा और जिसके बाद इनके के लिए लंगर का आयोजन किया जाएगा।
800 साल पुरानी परम्परा
छडि़यों के जुलूस की परम्परा 800 साल पहले शुरू हुई थे। उस पुराने जमाने में उर्स की शुरुआत का एेलान इन छडि़यों के द्वारा ही किया जाता था। तभी से यह महरौली से इन कालंदरो का पैदल जत्था जहां जहां से निकलता है, वहां यह संदेश पहुंचता है कि गरीब नवाज का उर्स शुरू होने वाला है। यह कलंदरों का यह जत्था ख्वाजा गरीब नवाज की दर पर हमेशा आठ सौ सालों लगातार आ रहा है।
नरेंद्र बंसी भारद्वाज