इन महिलाओं ने महाभारत में निभाई अपनी अहम भूमिका

Samachar Jagat | Saturday, 18 Feb 2017 07:00:02 AM
These women played an important role in the Mahabharata

महाभारत काल में जितना महत्व पुरूषों को दिया जाता था उतना ही महत्व महिलाओं को भी दिया जाता था। दोनों में कोई भेदभाव नहीं था इसी कारण महाभारत में सिर्फ पुरुषों ने ही नहीं महिलाओं ने भी साहस, सौंदर्य और अपनी बुद्धि का परिचय दिया। ये महिलाएं अपने समय से बहुत आगे थीं जो पुरुषसत्तावादी समाज के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाना जानती थी। इन महिलाओं के कर्मां ने इन्हें महान बना दिया। आइए जानते हैं इन महिलाओं के बारे में....

उर्वशी :-

उर्वशी इंद्र के दरबार की बेहद खूबसूरत युवती थी। उर्वशी अर्जुन को पसंद करती थी और उसने अपने प्यार का इजहार भी किया लेकिन अर्जुन ने उनके प्यार को ठुकरा दिया। उर्वशी महाभारत काल की सबसे निडर और बेहद ही खूबसूरत युवती थी। उर्वशी महाभारत काल की वह स्त्री थी जिसने बिना डरे सभी के सामने अर्जुन से अपने प्रेम का इजहार किया था।  

कुंती :-

कुंती महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक है। यह कर्ण की माँ थी, जो उन्हें सूर्य भगवान से मिले थे। कुंती को ऋर्षि दुर्वासा ने एक मंत्र दिया था और कहा था कि इस मंत्र को पढ़कर वो जिस किसी भी देवता का ध्यान करेंगी वह उनके सामने प्रकट हो जाएंगे और वह उन्हें अपने जैसा ही तेजस्वी पुत्र प्रदान करेंगे। उस मंत्र की सच्चाई को जानने के लिए उन्होंने सूर्यदेव का स्मरण किया। भगवान सूर्य, कुंती के सामने आ गए। उनके सुंदर रूप को देखकर, कुंती आकर्षित हो गईं और वरदान के अनुसार उन्हें इस संयोग से कर्ण जैसा पुत्र प्राप्त हुआ। कुंती ने हमेशा पांडवों का पथ-प्रदर्शन किया।

हमेशा फूलों से ढका रहता है इस मंदिर का कुंड

गांधारी :-

गांधारी गांधार देश के सुबल नामक राजा की कन्या थीं। क्योंकि वह गांधार की राजकुमारी थीं, इसीलिए उनका नाम गांधारी पड़ा। यह हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र की पत्नी और दुर्योधन आदि कौरवों की माता थीं। गांधारी की भगवान शिव में विशेष आस्था थी और वे शिव की परम भक्त थीं। अपने पति धृतराष्ट्र के अन्धा होने के कारण विवाहोपरांत ही गांधारी ने भी आँखों पर पट्टी बाँध ली तथा उसे आजन्म बाँधे रहीं। एक पतिव्रता के रूप में गांधारी आदर्श नारी सिद्ध हुई।

चित्रांगदा :-

चित्रांगदा मणिपुर नरेश चित्रवाहन की पुत्री थी। जब वनवासी अर्जुन मणिपुर पहुंचे तो उसके रूप पर मुग्ध हो गए। उन्होंने नरेश से उसकी कन्या मांगी। राजा चित्रवाहन ने अर्जुन से चित्रांगदा का विवाह करना इस शर्त पर स्वीकार कर लिया कि उसका पुत्र चित्रवाहन के पास ही रहेगा क्योंकि पूर्व युग में उसके पूर्वजों में प्रभंजन नामक राजा हुए थे। उन्होंने पुत्र की कामना से तपस्या की थी तो शिव ने उन्हें पुत्र प्राप्त करने का वरदान देते हुए यह भी कहा था कि हर पीढ़ी में एक ही संतान हुआ करेगी अतः चित्रवाहन की संतान वह कन्या ही थी। अर्जुन ने शर्त स्वीकार करके उससे विवाह कर लिया। चित्रांगदा के पुत्र का नाम बभ्रुवाहन रखा गया। पुत्र-जन्म के उपरांत उसके पालन का भार चित्रांगदा पर छोड़ अर्जुन ने विदा ली।

यहां आज भी आल्हा और ऊदल रोज मंदिर में आकर करते हैं माता के दर्शन

द्रौपदी :-

द्रौपदी पंचाल नरेश राजा द्रुपद की बेटी थी, द्रौपदी महाभारत की सबसे खूबसूरत महिलाओं में से एक थी। अर्जुन ने द्रौपदी को स्वयंवर में जीत था जिसके बाद उनका विवाह पांचों पांडवों से हुआ था। भरी सभा में कौरवों ने द्रौपदी की लज्जा भंग करने का प्रयास किया। द्रौपदी ने अपना अपमान सहकर चुपचाप बैठना सही नहीं समझा और उसने इसके खिलाफ आवाज उठाई। इस अपमान का बदला महाभारत के युद्ध के रूप में लिया गया।

(Source- Google)

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