रामायण में बताया गया है कि श्रीलंका में रावण की सोने की लंका थी। पहले तो इस तथ्य की सत्यता के बारे में लोगों को संदेह था लेकिन अब श्रीलंका में वह स्थान मिल गया है जहां पर रावण की सोने की लंका हुआ करती थी। इसी के साथ रावण से जुड़े अन्य करीब 50 स्थलों को भी ढूंढ लिया गया है जिनका ऐतिहासिक महत्व है।
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गौरतलब है कि श्रीलंका का इंटरनेशनल रामायण रिसर्च सेंटर और वहां के पर्यटन मंत्रालय ने मिलकर रामायण से जुड़े ऐसे 50 स्थल ढूंढे हैं जिनका पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व है। इन स्थलों का रामायण में भी उल्लेख मिलता है, श्रीलंका सरकार इन स्थानों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बना ली है।
इस कार्य में भारत भी श्रीलंका की मदद कर रहा है। रिसर्च के अनुसार, श्रीलंका के रैगला जंगलों के बीच एक बहुत बड़ी पहाड़ी पर रावण की गुफा है, जहां उसने घोर तपस्या की थी। उसी गुफा में आज भी रावण का शव सुरक्षित रखा हुआ है। रावण की यह गुफा 8 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। जहां 17 फुट लंबे ताबूत में रावण का शव रखा है । इस ताबूत के चारों तरफ एक खास लेप लगा है जिसके कारण यह ताबूत हजारों सालों से जस का तस रखा हुआ है।
आपको बता दें कि इस शव को मिस्र की प्राचीन काल में ममी बनाने की पद्धति से सुरक्षित रखा गया है। रावण शैव संप्रदाय को मानने वाला था और उस समय इस संप्रदाय में समाधि देने की रस्म थी। यह भी जानना जरूरी है कि उस समय शैव संप्रदाय में समाधि देने की रस्म थी।
इसी कारण इस शव को जलाया नहीं गया और लेप के माध्यम से सुरक्षित रखा गया। इस जंगल में कोई नहीं जाता है क्योंकि यहां पर जंगली और खूंखार जानवरों का बसेरा है। इसके अलावा यहां पर ‘रावण एल्ला’ नामक एक झरना है, जो एक चट्टान से लगभग 25 मीटर अर्थात 82 फुट की ऊंचाई से गिरता है।
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रावण एल्ला वॉटर फॉल घने जंगलों के बीच स्थित है। यहां सीता के नाम का एक पुल है। यहीं पर रावण की 'रावण एल्ला गुफा' है। यह गुफा समुद्र की सतह से 1,370 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। यह स्थान श्रीलंका के बांद्रावेला से 11 किलोमीटर दूर है।
पुरात्तव विभाग ने रावण के पुष्पक विमान से उतरने के स्थान और रामायण काल के कुछ हवाई अड्डे भी ढूंढ लिए हैं। महियांगना से 10 किलोमीटर दूर वेरांगटोक है, जहां पर रावण ने अपने पुष्पक विमान को उतारा था, जब वह सीता का हरण करके लाया था। इस स्थान का नाम गुरुलपोटा है और अब इसे ‘सीतोकोटुवा’ नाम से जाना जाता है। इसके अलावा भी अनेक स्थान मिल चुके हैं जिनका जिक्र रामायण में किया गया है।
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