यहां होती है शृंग ऋषि और उनकी पत्नी की पूजा

Samachar Jagat | Wednesday, 15 Mar 2017 07:00:01 AM
Shringi rishi temple Banjar Kullu

पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋष्यशृंग विभण्डक तथा अप्सरा उर्वशी के पुत्र थे। विभण्डक ने इतना कठोर तप किया कि देवतागण भयभीत हो गए और उनके तप को भंग करने के लिए उर्वशी को भेजा। उर्वशी ने उन्हें मोहित कर उनके साथ संसर्ग किया जिसके फलस्वरूप ऋष्यशृंग की उत्पत्ति हुई।

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ऋष्यशृंग के माथे पर एक सींग (शृंग) था अतः उनका यह नाम पड़ा। बाद में ऋष्यशृंग ने ही दशरथ की पुत्र कामना के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया था। जिस स्थान पर उन्होंने यह यज्ञ करवाए थे वह अयोध्या से लगभग 39 कि.मी. पूर्व में था और वहां आज भी उनका आश्रम है और उनकी तथा उनकी पत्नी की समाधियां हैं।

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हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में शृंग ऋषि का मंदिर भी है। कुल्लू शहर से इसकी दूरी करीब 50 किमी है। इस मंदिर में शृंग ऋषि के साथ देवी शांता की प्रतिमा विराजमान है। यहां दोनों की पूजा होती है और दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

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