उत्तराखंड के जिला पिथौरागढ़ मे स्थित एक प्राचीन और रहस्यमयी गुफा है पाताल भुवनेश्वर। यह गुफा अपने अंदर बहुत सारे रहस्य समेटे हुई है। अगर आप इस गुफा हो देखने के लिए यहां आते हैं तो आपको अपना मोबाइल और कैमरा बाहर ही छोड़कर जाना पड़ेगा। गुफा के अंदर कैमरा और मोबाईल ले जाने की अनुमति नहीं है। यहां आने के बाद अपने सामान के साथ ही कैमरा और मोबाईल फोन जमा करने के बाद गाइड के साथ गुफा में प्रवेश कर सकते हैं।
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ये गुफा विशालकाय पहाड़ी के करीब 90 फिट अंदर है। 90 फिट नीचे गुफा में उतरने के लिए चट्टानों के बीच संकरे टेढ़े मेढ़े रास्ते से ढलान पर उतरना पड़ता है। देखने पर गुफा में उतरना नामुमकिन सा लगता है लेकिन गुफा में उतरने पर शरीर खुद ब खुद गुफा के संकरे रास्ते में अपने लिए जगह बना लेता है।
गुफा में पहुंचने पर एक अलग ही अनुभूति होती है। जैसे कि आप किसी काल्पनिक लोक में पहुंच गए हों। गुफा में उतरते ही सबसे पहले गुफा के बाईं तरफ शेषनाग की एक विशाल आकृति बनी हुई दिखाई देती है इसके ऊपर विशालकाय अर्द्धगोलाकार चट्टान है। इसके बारे में कहा जाता है कि शेषनाग ने इसी स्थान पर पृथ्वी को अपने फन पर धारण किया था।
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यहां शेषनाग का शरीर है जिसकी आकृति सर्प की तरह है। कुछ आगे बढ़ने पर आदि गणेश के दर्शन होते हैं जिस पर ब्रह्म कमल से अमृत की बूंदे गिरती दिखाई देती हैं। यहीं पर केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ धाम के दर्शन होते हैं तो कालभैरव भी यहीं पर विराजमान हैं। आप यहां आकर इन चारों धामों के दर्शन एक साथ कर सकते हैं।
इस गुफा का विस्तृत वर्णन स्कन्द पुराण के मानस खंड के 103 अध्याय में मिलता है। पाताल भुवनेश्वर अपने आप में एक दैवीय संसार को समेटे हुए है।
(Source - Google)
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