परशुराम की तपोभूमि जौनपुर में आस्था का केन्द्र है जमदग्नि ऋषि का आश्रम

Samachar Jagat | Thursday, 27 Apr 2017 04:13:29 PM
Parashuramas Tapo Bhumi is the center of faith in Jaunpur the Jamdagni Rishi's ashram

जौनपुर। उत्तर प्रदेश में जौनपुर जिले की सदर तहसील क्षेत्र में महर्षि जमदग्नि ऋषि का आश्रम आज आस्था का केन्द्र बना हुआ है। पुराणों में भगवान परशुराम की जन्मस्थली शाहजहांपुर जिले में दर्शाई गई है मगर उनकी कर्मभूमि एवं तपोस्थली के तौर पर जौनपुर में सदर तहसील में आदि गंगा गोमती के पावन तट स्थित जमैथा गांव रहा है। यहां परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि का आश्रम है। माना जाता है कि उन्हीं के नाम पर नगर का नाम जमदग्निपुरम् रहा जो कालान्तर में जौनपुर हो गया।

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परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया 28 अप्रैल को पड़ रहा है। इसलिए पूरे देश में इसी दिन उनकी जयंती मनाई जाएगी। भगवान परशुराम के यदि वंशज को देखा जाए तो महाराज गाधि के एक मात्र पुत्री सत्यवती व पुत्र ऋषि विश्वामित्र थे। सत्यवती का विवाह ऋचीक ऋषि से हुआ। उनके एक मात्र पुत्र जमदग्नि ऋषि थे। ऋषि जमदग्नि का विवाह रेणुका से हुआ और इनसे परशुराम पैदा हुए। परशुराम का पृथ्वी पर अवतार अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। ये भगवान विष्णु के छठे अवतार भी माने जाते थे। परशुराम के गुरू भगवान शिव थे। उन्ही से इन्हे फरसा मिला था।

मान्यताओं के अनुसार महर्षि जमदग्नि ऋषि जमैथा ( जौनपुर ) स्थित अपने आश्रम पर तपस्या कर रहे थे , तो आसुरी प्रवृत्ति का राजा कीर्तिवीर ( जो आज केरार वीर है ) उन्हें परेशान करता था । जमदग्नि ऋषि तमसा नदी ( आजमगढ़ ) गए, जहां भृगु ऋषि रहते थे। उन्होंने ऋषि को सारी बात बताई, तो भृगु ऋषि ने उनसे कहा कि आप अयोध्या जाइए। वहां पर राजा दशरथ के दो पुत्र राम व लक्ष्मण हैं। वे आपकी पूरी सहयता करेंगे। जमदग्नि अयोध्या गए और राम लक्ष्मण को अपने साथ लाए। राम व लक्ष्मण ने कीर्तिवीर को मारा और गोमती नदी में स्नान किया तभी से इस घाट का नाम राम घाट हो गया।

जमदग्नि ऋषि बहुत क्रोधी थे। परशुराम पिता भक्त थे। एक दिन उनके पिता ने आदेश दिया कि अपनी मां रेणुका का सिर धड़ से अलग कर दो। परशुराम ने तत्काल अपने फरसे से मां का सिर काट दिया, तो जमदग्नि बोले क्या वरदान चाहते हो, परशुराम ने कहा कि यदि आप वरदान देना चाहते हैं, तो मेरी मां को जिन्दा कर दीजिए। जमदग्नि ऋषि ने तपस्या के बल पर रेणुका को पुनः जिन्दा कर दिया। जीवित होने के बाद माता रेणुका ने कहा कि परशुराम तूने अपने मां के दूध का कर्ज उतार दिया। इस प्रकार पूरे विश्व में परशुराम ही एक ऐसे हैं जो मातृ व पित्रृ ऋण से मुक्त हो गए हैं।

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परशुराम ने तत्कालीन आसुरी प्रवृत्ति वाले क्षत्रियों का ही विनाश किया था। यदि वे सभी क्षत्रियों का विनाश चाहते तो भगवान राम को अपना धनुष न देते, यदि वे धनुष न देते तो रावण का वध न होता। परशुराम में शस्त्र व शास्त्र का अद्भुत  समन्वय मिलता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो जौनपुर के जमैथा में उनकी माता रेणुका बाद में अखण्डो अब अखड़ो देवी का मन्दिर आज भी मौजूद है जहां लोग पूजा अर्चना करते है। -एजेंसी

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