चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पाप मोचनी एकादशी व्रत किया जाता है। पापमोचनी एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के पश्चात उसे मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। आइए आपको बताते हैं पापमोचनी एकादशी पर किए जाने वाले व्रत की विधि....
जो व्यक्ति ये व्रत करता है उसे सूर्योदय काल में उठना चाहिए और स्नान आदि सभी कार्यो से निवृ्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
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भगवान विष्णु की प्रतिमा को सामने रखकर उसकी पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
पूजा करने के बाद श्रीमद भागवत कथा का पाठ करना चाहिए। पूरे दिन निराहार रहकर शाम को फलाहार करना चाहिए।
भगवान श्री विष्णु कि पूजा करने के बाद ब्राह्माणों को भोजन कराना चाहिए व दक्षिणा देकर उनसे आर्शीवाद लेना चाहिए।
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एकादशी व्रत की महिमा
नारद पुराण में स्वयं भगवान श्री कृष्णा ने एकादशी व्रत के बखान में कहा है की...
अश्वमेधसहस्राणि राजसूयशतानि च ।
एकादश्युपवासस्य कलां नार्हन्ति शोडशीम् ।।
अर्थात हजारों अश्वमेध यज्ञों या 100 राजसूय यज्ञों से भी अधिक फलदायी होता है एकादशी व्रत।
(Source - Google)
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