मकर संक्रांति से जुड़ी पौराणिक कथाएं

Samachar Jagat | Friday, 13 Jan 2017 04:38:01 PM
mythology attached from Makar Sankranti

मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है इसके बारे में अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं, इन कथाओं में मकर संक्रांति के पर्व को लेकर भिन्न-भिन्न जानकारियां दी गई हैं। आइए आपको बताते हैं इन कथाओं के बारे में....

प्रथम कथा :-

कहा जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाया करते हैं। शनिदेव चूंकि मकर राशि के स्वामी हैं, अतः इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

द्वितीय कथा :-

मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा उनसे मिली थीं। यह भी कहा जाता है कि गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी। इसलिए मकर संक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है।

तृतीय कथा :-

महाभारत काल के महान योद्धा भीष्म पितामह ने भी अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था, इसलिए इस दिन को विशेष दिन माना जाता है।

चौथी कथा :-

इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी व सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। इस प्रकार यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन भी माना जाता है।

 



 

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