ये महाभारत कालीन मंदिर जो उड़कर हुआ था गाय पर स्थापित

Samachar Jagat | Sunday, 26 Mar 2017 11:57:14 AM
Mahabharata kalin temple

शिव किशोर शर्मा------ ऐसे तो देश में कई मंदिर और मस्जिद अपनी-अपनी ख्याती के लिए फैमस है, और उन मंदिर मस्जिदोें में लोगों का जमावड़ा भी लगा रहता है। लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की लिए मंदिरों में भगवान की पूजा अर्चना करने भी जाते है। कई ऐसे मंदिर भी है जिनके बारे में केवल उसी प्रदेश या उसी क्षेत्र के लोग जानते है।

मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के बीहड़ में स्थित गोपुरम चतुर्भुज मंदिर को देखने के बाद लगता है की मंदिर महाभारत काल,पांडवकाल का बना हुआ है। इस मंदिर की स्थापना को लेकर वहां के लोगों के बीच में कई मान्यताएं भी है। 

बीहड़ में स्थित यह मंदिर नागर शैली पर बना हुआ है। यह गोपुरम भगवान चतुर्भुज का मंदिर है। इसमें भगवान विष्णु की प्रतिमा लगी हुई है।

क्या है नागर शैली
नागर शैली का प्रसार हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत माला तक देखा जा सकता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार नागर शैली के मंदिरों की पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक इसका चतुष्कोण होना है। विकसित नागर मंदिर में गर्भगृह उसके समक्ष, अन्तराल, मण्डप तथा अर्द्धमण्डप प्राप्त होते हैं। एक ही अक्ष पर एक दूसरे से संलग्न इन भागों का निर्माण किया जाता है।

इस शैली के मंदिर 
कंदरिया महादेव मंदिर- खजुराहो
लिंगराज मंदिर - भुवनेश्वर, ओड़िसा
जगन्नाथ मंदिर - पुरी ओड़िसा 
कोणार्क का सूर्य मंदिर - कोणार्क ओड़िसा 
मुक्तेश्वर मंदिर -ओड़िसा 
खजुराहो के मंदिर - मध्य प्रदेश
दिलवाडा के मंदिर - आबू पर्वत, राजस्थान 
सोमनाथ मंदिर - सोमनाथ, गुजरात

लोगों का क्या है कहना
स्थानीय मूलनिवासी अपने पुरखों से सुनी कहानी के अनुसार बताते हैं कि यह मंदिर उडकर आया और एक गाय के उपर स्थापित हो गया। गांव के एक स्नातक युवक ने कहा कि संभवतः यह पांडवकालीन मंदिर है।

1500 से 2000 साल पुराना है मंदिर
संभवत स्थानीय लोगों का कहना है की यह मंदिर करीब 1500 से 2000 साल पुराना है, और इस मंदिर की कई मान्यताएं है।

मंदिर के उपर नहीं है शिखर
मंदिर के उपर कोई शिखर नहीं है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जिस समय यह मंदिर बना हो उसके बाद शायद यहा मुस्लिम शासकों ने हमला कर मंदिर को खंडित करने की कोशिश हो। जो भी हो लेकिन मंदिर पर आक्रमण कर इसको ध्वस्त करने की कोशिश की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है ।

पास ही केन्द्रीय पर्यटन विभाग का मंदिर है स्थापित


इस मंदिर के पास ही केन्द्रीय पर्यटन विभाग से वित्तपोषित मां चामुंडा का मंदिर है। इस मंदिर की स्थिति एक दम सही है सरकार चाहे तो इस मंदिर को भी पर्यटन की दृष्टि से और सुंदर बनाया जा सकता है।
 



 
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