सती ने क्यों ली भगवान राम की परीक्षा

Samachar Jagat | Friday, 16 Dec 2016 07:00:01 AM
Lord Rama tested sati

भगवान शिव की पहली पत्नी थीं सती, शिव और सती एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे। ऐसा क्या हुआ कि भगवान शिव को अपनी प्रिय पत्नी का त्याग करना पड़ा। वहीं सती ने भगवान राम की परीक्षा ली थी आखिर क्यों ली सती ने भगवान राम की परीक्षा। आइए आपको विस्तार से बताते हैं इस कथा के बारे में.....

वनवास के दौरान जब माता सीता का हरण रावण ने कर लिया था तो उस समय राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ सीता की खोज में लगे हुए थे। उसी समय कैलाश पर्वत पर माता सती अपने पति महादेव के साथ बैठी हुई थीं। राम को पत्नी वियोग में तड़पता हुआ देखकर सती के मन में एक खयाल आया कि राम तो स्वयं भगवान विष्णु के अवतार हैं वे इस तरह एक स्त्री वियोग में वन में मारे-मारे क्यों फिर रहे हैं। यदि वे चाहें तो अवश्य ही रावण का पता लगाकर तुरंत उसे मार सकते हैं।

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सती ने ये सवाल भगवान शिव से पूंछा, तब महादेव ने बताया कि हां, यह सत्य है कि राम भगवान विष्णु के अवतार हैं लेकिन उन्होंने पृथ्वी पर एक मनुष्य के रूप में जन्म लिया है इसलिए उन्हें भी अन्य मनुष्यों की तरह एक साधारण व्यक्ति की तरह सभी कष्टों से गुजरना होगा। तब सती जी ने कहा कि क्या मनुष्य रूप में भी उनके अंदर वह गुण मौजूद हैं जो भगवान विष्णु के अंदर हैं।

शिवजी ने उनकी शंका का समाधान करते हुए कहा कि हां, एक मनुष्य होते हुए भी श्रीराम उन सभी गुणों से परिपूर्ण हैं जो भगवान विष्णु के अंदर मौजूद हैं। माता सती ने इस पर संदेह प्रकट करते हुए कहा कि मुझे तो यह संभव नहीं लगता क्योंकि यदि उनके अंदर वह कलाएं होतीं तो वे आज सीता की तलाश में वन-वन नहीं भटकते।

सती ने निश्चय किया कि वे भगवान राम की परीक्षा लेंगी और उन्होंने अपने पति भगवान शिव से इसकी आज्ञा मांगी पहले तो शिवजी ने सती को ऐसा करने से मना किया लेकिन बाद में वे उनकी हठ के आगे हार गए और शिवजी ने सती को श्रीराम की परीक्षा लेने की इजाज़त दे दी।

भगवान राम की परीक्षा लेने के लिए माता सती ने देवी सीता का रूप धारण किया और उसी रास्ते पर बैठ गईं जहां से राम और लक्ष्मण निकलने वाले थे। जब राम और लक्ष्मण वहां से निकले तब लक्ष्मण की नज़र देवी सीता का रूप धारण की हुई माता सती पर पड़ी और लक्ष्मण उन्हें ही सीता समझकर प्रसन्न हो गए।

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जब राम की नज़र माता सती पर पड़ी तब उन्होंने हाथ जोड़कर प्रणाम करते हुए कहा कि माता क्या आज आप अकेले ही वन विहार पर निकली हैं ? मेरे प्रभु भगवान शिव को आज कहां छोड़ आई हैं। राम के वचन सुनकर सती लज्जित हुईं और अपने वास्तविक स्वरूप में आकर राम-लक्ष्मण को सफलता का आर्शीवाद देते हुए वहां से अंर्तध्यान हो गईं।

जब शिव जी ने सती से पूंछा कि क्या तुमने श्रीराम की परीक्षा ली थी तब माता सती ने उनसे कहा कि उन्होंने श्रीराम की कोई भी परीक्षा नहीं ली। परन्तु महादेव ने अपनी दिव्य दृष्टि से सब कुछ देख लिया। सती ने माता सीता का रूप लेकर राम की परीक्षा ली थी इसलिए भगवान शंकर ने मन ही मन सती का त्याग कर दिया।

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