जानिए कौन होते हैं कापालिक साधू ?

Samachar Jagat | Wednesday, 22 Mar 2017 07:00:01 AM
Know who are the Kapalik Sadhu

भारत में साधुओं का होना एक आम बात है। धार्मिक स्थान के अलावा आजकल साधु संत शहरी क्षेत्र में भी देखे जा सकते है। इनके बारे में थोड़ा विस्तारपूर्वक कहें तो ये एक ऐसा समुदाय होता है जो भगवान की भक्ति के लिए संन्यासी जीवन को अपनाते है। इन्हें ग्रस्थ जीवन से कोई लेना देना नहीं होता है। ये केवल स्वंय का पूरा जीवन भगवान की भक्ति के लिए समर्पित कर देते है। लेकिन इस समुदाय के भी अलग अलग रुप देखे जा सकते है। जिनमें से आज हम बात करने जा रहे है कापालिक साधुओं के बारे में।

जैसा कि इनके नाम से ही पता चल रहा है कि इनका लेना देना कपाल यानि कि खोपड़ी से लेना देना है। जी हां आपको बताते है कि कापालिक साधू इंसानो की खोपड़ियो में पानी और भोजन करना पसंद करते है, उनके इस कृत्य के चलते इन्हें कापालिक साधुओ का दर्जा दिया जाता है।

भूत-प्रेत बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए घर में लगाएं हनुमान जी की फोटो

कापालिक साधुओ से जुड़े कुछ तथ्य

कहा जाता है कि प्राचीन समय में कापालिक साधना को भोग विलास का रुप माना जाता था। यही वजह थी कि इससे आकर्षक होकर लोग इस साधना से जुड़ते चले गए, और इसे वासना का ही एक मार्ग समझ लिया गया। मूल अर्थों में कापालिकों की चक्र साधना को ही भोग विलासिता को शांत करनें और काम कामना शांत करनें की साधना मात्र बना दिया गया। यही वजह थी कि इसे समाज में बेहद घृणा भाव से देखा जाने लगा। यही वजह थी कि आदि शंकराचार्य ने कापालिक संप्रदाय में फैले दुआचरण का कड़ी निंदा की थी। असल में इस मार्ग के जो असल साधू थे उन्होंने अलग अालग साधना अपना ली। विरोध करने वाले इस संप्रदाय का एक बड़ा हिस्सा नेपाल की तरफ रुख कर गय। और वहां पर यह समुदाय बौध्द कापालिक साधना के रुप में जाना जाने लगा।

कापालिक साधु अपनी साधना में भैरवी, महाकाली, चांडाली, चामुंडा, शिव, जैसे देवी- देवताओं को अपनी साधना में शामिल करते है। विभिन्न तांत्रिकं मठो में आज भी गुप्त रुप से कापालिक अपनी तंत्र साधनाएं करते रहते है।

जानिए कौन था हनुमानजी का पुत्र ?

कापालिक साधना के विषय को लेकर इतिहासकार अपनी मानते है कि इस साधना से ही कापालिक पंथ से शैव शाक्त मार्ग का प्रचलना आरंभ हुआ। इसलिए इस समुदाय से संबधित साधनांए बेहद महत्वपूर्ण सिध्द हुई है। कापालिक चक्र में मुख्य साधक भैरव तथा साधिका त्रिपुर सुंदरी कहा जाता है। तथा काम शक्ति के विभिन्न साधन से इनमें असीम शक्तियां आ जाती है। फल की इच्छा प्राप्त से अपने शारीरिक अवयवों पर नियंत्रण रखना या किसी भी प्रकार के निर्माण तथा विनाश करनें की बेजोड़ शक्ति इस मार्ग से प्राप्त की जा सकती है।

इस साधना की हकीकत बयां करते इनके मठ जीर्णशीर्ण अवस्था में उत्तरी पूर्व राज्यों में आज भी देखने को मिलते है। यामुन मुनि के आगम प्रामाण्य, शिवपुराण तथआ आगम पुराण में विभिन्न तांत्रिक संप्रदायों के भेद दिखाए गए है। वाचस्पति मिश्र नें चार माहेश्नवर संप्रदायों के नामों का वर्णन किया है। ऐसा माना जा सकता है कि श्रीहर्ष ने नैषध में समसिध्दान्त नाम से जिसका उल्लेख किया है, वह कापालिक संप्रदाय ही है।

(Source - Google)

इन ख़बरों पर भी डालें एक नजर :-

चांदी से जुड़े ये उपाय चमका देंगे आपकी किस्मत

कहीं आपके अवगुण तो नहीं बन रहे आपकी असफलता का कारण

ईशान कोण के लिए कुछ खास वास्तु टिप्स



 

यहां क्लिक करें : हर पल अपडेट रहने के लिए डाउनलोड करें, समाचार जगत मोबाइल एप। हिन्दी चटपटी एवं रोचक खबरों से जुड़े और अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें!

loading...
रिलेटेड न्यूज़
ताज़ा खबर

Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.