नई दिल्ली। हर वर्ष 4 बार नवरात्रि आते है, लेकिन लोग सिर्फ 2 ही नवरात्रि के बारे में जानते है। पहला शारदीय नवरात्र : आश्विन मास(अक्टूबर), दूसरा माघी नवरात्र : माघ मास(जनवरी-फरवरी), तीसरा वासंतिक : चैत्र नवरात्र(अप्रैल), और चौथा ग्रीष्म-गुप्त नवरात्र : आषाढ़ मास(जुलाई) में आता है। हिंदु धर्म में गुप्त नवरात्रि साल में 2 बार आते हैं।
गुप्त नवरात्र का वक्त आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष है। नवरात्र के तरह ही गुप्त नवरात्रों में देवी की आराधना करने से लाभ होता है। माघ मास की गुप्त नवरात्रि 28 जनवरी शनिवार से शुरू हो रहे हैं, जो 5 फरवरी तक चलेंगे।
जानिए पूजन विधि
गुप्त नवरात्रों में की पूजा विधि भी दूसरे नवरात्र की तरह ही है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर मंत्र जाप कीजिए। कहते है कि अगर किसी मंत्र में सिद्धि प्राप्त करनी है, तो गुप्त नवरात्रों का करने से लाभ होता है। इस नवरात्रि में शाकंभरी देवी का पूजन करना चाहिए। संभव हो तो हर दिन दुर्गा सप्तशती या देवीभागवत् का पाठ कीजिए।
हां, गणेश जी का मोदक, जामुन, बेल आदि के साथ सबसे पहले आह्वान अवश्य कर लीजिए। गुप्त नवराक्षों में कुलदेवी या कुलदेवता की पूजा करने से भी लाभ होता है। गुप्त नवरात्रि के दौरान मां काली, तारा,भुवनेश्वरी, त्रिपुरसुंदरी, छिनमस्तिका, त्रिपुर भैरवी, धूमावति, बगलामुखी, मातंगी, मां कमला देवी की अराधना करनी चाहिए।
ऐसे कीजिए नवरात्र में पाठ
दुर्गा सप्तशती, इष्ट देवी के बीजमंत्र, दुर्गा कवच, दुर्गा शतनाम पाठ
दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ नहीं करें तो अध्याय 4, 5 और 11 का पाठ
पूजा करते वक्त फल की इच्छा ना करें
कहते है माता रानी की सही तरीके से सही समय पर पूजा की जाएं तो वह फलदायी होती है। अगर आप किसी मंशा से माता भगवती की पूजा आराधना कर रहे हैं, तो आप सावधान हो जाईये। क्योंकि माता रानी की पूजा करते वक्त फल की इच्छा मन में नहीं आनी चाहिए। माता बहुत दयालू होती है। वे भक्त की सभी मनोइच्छा पूजा मात्र से पूरी करती है।