सभी लोग अपने घरों में सुख-शांति के लिए और अपनी श्रध्दा के अनुरुप अपने इष्ट की तस्वीर या प्रतिमा की स्थापना करते हैं। स्थापना को लेकर कम ही लोग उनके संबध में जानकारी रखते है। लेकिन वास्तु के अनुसार कई मूर्तियां ऐसी होती है जिनका घर में होना शुभ अशुभ पर निर्भर करता है। अगर आप नहीं जानते हैं तो हम आपको बता दें कि हमेशा घर में स्थापित भगवान की मूर्ति हमारे लिए मंगलकारी नहीं होती। कभी-कभी इसके परिणाम विपरीत भी होते हैं। जैसे सभी भगवान हर घर के लिए नहीं होते उसी प्रकार सभी मूर्तियों के दर्शन हमेशा शुभ नहीं होते।
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वास्तु के अनुसार कई मूर्तियां ऐसी भी होती हैं, जिनके दर्शन मात्र से हमारे बनते काम बिगड़ सकते हैं। आईए जानते हैं ऐसा किन-किन दशाओं में होता है-
= घर में स्थापित भगवान की मूर्ति की स्थापना अगर कुछ इस तरह से की गई हो कि आते-जाते समय उनकी पीठ दिखाई दे तो संभव हो तो उसकी स्थिति सही करवाएं अन्यथा किसी भी शुभ काम के लिए बाहर जाने से पहले भगवान के दर्शन न करें। भगवान की पीठ का दिखना शुभ नहीं माना जाता। यह इस बात का प्रतीक माना जाता है कि भगवान आपके परिवार से खुश नहीं हैं। अत: हो सके तो इस दोष को दूर करने का प्रयास करें।
= एक ही मंदिर में एक ही भगवान की एक से ज्यादा तस्वीर या मूर्ति न रखें, फिर चाहे वे उनके अलग-अलग स्वरूपों को ही क्यों न दर्शाती हों। जैसे भगवान विष्णु का श्रीराम और श्रीकृष्ण अवतार।
= भले ही अपने भगवान की किसी प्रतिमा से कितनी ही अगाध श्रद्धा क्यों न जुड़ी हो, लेकिन उसके खण्डित होते ही उसे मंदिर से हटाकर किसी शुभ मुहूर्त में नई मूर्ति की स्थापना करें।
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= अपने भगवान के सौम्य रूप वाली प्रतिमा को ही अपने घर के मंदिर में जगह दें। रौद्र रूप वाली प्रतिमा के दर्शन करके आपका मन भयभीत भी हो सकता है। आपने देखा होगा कि कोई भी अपने घर में भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की स्थापना नहीं करता है।
= भगवान के बुराइयों का सर्वनाश करते हुए स्वरूप की भी घरों में स्थापना नहीं करनी चाहिए। इसीलिए घरों में शक्ति स्वरूपा कालरात्रि के बजाय मां दुर्गा का पूजन किया जाता है।
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