गुजरात के गांधीनगर जिले के रुपाल गांव वरदायिनी माता का मंदिर है, इस मंदिर में घी चढ़ाकर माता को प्रसन्न किया जाता है। यहां सबसे पहले घी किसने चढ़ाया, कैसे हुई इस परंपरा की शुरूआत इसके बारे में एक पौराणिक कथा प्रचलित है। ये कथा इस प्रकार है
महाभारत काल में जब पांडवों को अंतिम एक वर्ष का अज्ञातवास बिताना था तब उन्हें यह चिंता हुई की वे अपने अस्त्र-शस्त्र कहां छुपाएंगे। तब उन्होंने घी का अर्पण करके मां वरदायिनी देवी को प्रसन्न किया और अभीष्ट वरदान प्राप्त किया।
तीन माह तक करें इस एक मंत्र का जाप, धन के भर जाएंगे भंडार
तब से पांडवों ने यह निश्चय किया की वे हर नवरात्रि की आखिरी रात को मां वरदायिनी देवी की रथ यात्रा निकालकर उन्हें घी चढ़ाएंगे और उसी दिन से यह परंपरा आज भी चली आ रही है। इसी कारण हर साल इस गांव में वरदायिनी देवी की रथ यात्रा निकली जाती है और इस यात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से करीब 10 लाख से भी ज्यादा लोग इस गांव में आते हैं।
इन आठ मंत्रों में है आपकी किस्मत बदलने की शक्ति
इस गांव में कुल 25 से भी अधिक चौराहे हैं और जब रथ उन चौराहों के पास से होकर गुजरता है तब लोग अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु उनकी पल्ली के ऊपर बाल्टियों एवं अन्य बर्तनों से घी चढ़ाते हैं। जब यह घी ज़मीन पर गिरता है तब कोई भी पशु इसे अपने मुंह से नहीं लगाता है और न ही इस घी से किसी के कपड़े खराब होते हैं। ज़मीन पर पड़े इस घी को यहां के एक ख़ास परिवार के लोग ही उठाते हैं और साल भर इस्तेमाल के लिए अपने पास रखते हैं।
(Source - Google)
इन ख़बरों पर भी डालें एक नजर :-
विवाह में हो रही है देरी तो 5 बुधवार करें ये उपाय
उबलते दूध का उफान आपकी जिंदगी में ला सकता है तूफान
अगर आपकी कुंडली में है ये योग तो आप हैं बहुत खास