जानिए ! कैसे एक साधारण महिला ने तीनों देवों को बनाया अपना बालक

Samachar Jagat | Tuesday, 14 Mar 2017 07:00:01 AM
Find out how a simple woman made the three gods her child

पुराणों में एक ऐसी कथा का वर्णन मिलता है जिसमें तीनों देवों यानि ब्रहा, विष्णु और भगवान शिव को एक महिला ने अपना बालक बना लिया । आप ये जरूर जानना चाहेंगे कि आखिर ये महिला कौन थी और इसने तीनों देवों को कैसे बनाया अपना बालक। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में......

सती अनुसूईया महर्षि अत्री की पत्नी थी। जो अपने पतिव्रता धर्म के कारण सुविख्यात थी। एक दिन देव ऋषि नारद बारी-बारी से विष्णु, शिव और ब्रह्मा की अनुपस्थिति में विष्णु लोक, शिवलोक तथा ब्रह्मलोक पहुंचे। वहां जाकर उन्होंने माता लक्ष्मी, पार्वती और सावित्री के सामने अनुसुईया के पतिव्रत धर्म की प्रशंसा की । नारद की बातें सुनकर तीनों देवियां सोचने लगीं की आखिर अनुसुईया के पतिव्रत धर्म में ऐसी क्या बात है जो उसकी चर्चा स्वर्गलोक तक हो रही है। ये सोचकर तीनो देवीयों को अनुसुइया से ईर्ष्या होने लगी।

नारद जी के वहां से चले जाने के बाद तीनों देवियां एक जगह एकत्रित हुईं और अनुसूईया के पतिव्रत धर्म को खंडित करने की योजना बनाने लगीं। उन्होंने निश्चय किया की हम अपने पतियों को वहां भेज कर अनुसूईया का पतिव्रत धर्म खंडित कराएंगे। ब्रह्मा, विष्णु और शिव जब अपने अपने स्थान पर पहुंचे तो तीनों देवियों ने उनसे अनुसूईया का पतिव्रत धर्म खंडित कराने की जिद्द की। तीनों देवों ने बहुत समझाया कि यह पाप हमसे मत करवाओ। परंतु तीनों देवियों ने उनकी एक ना सुनी और अंत में तीनो देवो को इसके लिए राज़ी होना पड़ा।
तीनों देवो ने साधु वेश धारण किया तथा अत्रि ऋषि के आश्रम पर पहुंचे। उस समय अनुसूईया आश्रम पर अकेली थी।

साधुवेश में तीन अतिथियों को द्वार पर देखकर अनुसूईया ने भोजन ग्रहण करने का आग्रह किया। तीनों साधुओं ने कहा कि हम आपका भोजन अवश्य ग्रहण करेंगे। परंतु एक शर्त पर कि आप हमे निवस्त्र होकर भोजन कराओगी। अनुसूईया ने साधुओं के शाप के भय से तथा अतिथि सेवा से वंचित रहने के पाप के भय से परमात्मा से प्रार्थना की कि हे परमेश्वर ! इन तीनों को छः-छः महीने के बच्चे की आयु के शिशु बनाओ। जिससे मेरा पतिव्रत धर्म भी खण्डित न हो तथा साधुओं को आहार भी प्राप्त हो। भगवान की कृपा और देवी अनसूईया से तीनों देवता छः-छः महीने के बच्चे बन गए तथा अनुसूईया ने तीनों को निःवस्त्र होकर दूध पिलाया तथा पालने में लेटा दिया।

जब तीनों देव अपने स्थान पर नहीं लौटे तो देवियां व्याकुल हो गईं। तब नारद ने वहां आकर सारी बात बताई की तीनो देवो को तो अनुसुईया ने अपने सतीत्व से बालक बना दिया। यह सुनकर तीनों देवियां ने अत्रि ऋषि के आश्रम पर पहुंचकर माता अनुसुईया से माफ़ी मांगी और कहां की हमसे ईर्ष्यावश यह गलती हुई है। इनके लाख मना करने पर भी हमने इन्हें यह घृणित कार्य करने भेजा।

कृपया आप इन्हें पुनः उसी अवस्था में कीजिए। इतना सुनकर अनुसूईया ने तीनां बालकों को वापस उनके वास्तविक रूप में ला दिया। अत्री ऋषि व अनुसूईया से तीनों भगवानों ने वर मांगने को कहा। तब अनुसूईया ने कहा कि आप तीनों हमारे घर बालक बन कर पुत्र रूप में आए। हम निःसंतान हैं, अतः आप मेरे पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान दें। तीनों भगवानों ने तथास्तु कहा तथा अपनी-अपनी पत्नियों के साथ अपने-अपने लोक को प्रस्थान किया। कालान्तर में भगवान विष्णु ने दतात्रोय रूप में, ब्रह्मा ने चन्द्रमा के रूप में तथा भगवान शिव ने दुर्वासा के रूप में अनुसूईया के गर्भ से जन्म लिया।

 



 

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