भगवान से कुछ मत चाहो भगवान जो ही चाहो: मुनिश्री

Samachar Jagat | Thursday, 20 Apr 2017 12:07:06 PM
Do not want anything from God but only God: Munishri

जयपुर। जो लोग भगवान से कुछ लेने की चाह रखते हैं वो लोग दुर्योधन के वंश के हैं वहीं जो लोग स्वयं भगवान को ही लेना चाहते हैं वो अर्जुन के वंशज हैं। 

यह उद्गार बुधवार को टोंक में आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागरजी महाराज के परम शिष्य मुनि पुंगव सुधासागरजी महाराज ने कहे। मुनि श्री ने महाभारत काल का उदाहरण देते हुए कहा कि जब महाभारत का युद्ध होने वाला था तो उस समय दुर्योधन और अर्जुन दोनों भगवान श्री कृष्ण के द्वार मदद मांगने गए।

 उस वक्त भगवान कृष्ण ने कहा कि एक तरफ मेरी 11 हजार अक्षुणी सेना है और दूसरी तरफ मैं अकेला, वो भी निहत्था। स्वार्थवश दुर्योधन ने भगवान कृष्ण से 11 हजार अक्षुणी सेना मांग ली। वहीं अर्जुन ने केवल कृष्ण को पाकर ही बडी खुशी जाहिर की। लेकिन जीत तो फिर भी अर्जुन की ही हुई।

 महाराज ने कहा कि इस जीत के पीछे का कारण सेना का छोटा होना या बड़ी होना नहीं,अपितु भगवान के प्रति भाव थे, जो अर्जुन के मन से झलक रहे थे। मुनिश्री ने कहा कि भगवान से कुछ मत मांगो,मांगो तो भगवान को ही मांगो। जिससे मनुष्य का जीवन ही धन्य हो जाए। भगवान से कुछ चाहने वालों का जीवन सदा ही संकट से भरा रहता है और भगवान को चाहने वालों का जीवन सार्थक होता है। 

मुनिश्री ने वैष्णव दर्शन का एक उदाहरण देते हुए कहा कि दशरथ ने भगवान विष्णु भगवान की तपस्या की थी।  विष्णुु भगवान ने खुश होकर कुछ भी लेने के लिए वरदान दिया। लेकिन दशरथ ने सब मोह माया त्याग कर भगवान विष्णु को ही मांग लिया। दशरथ ने कहा कि आप मेरे पुत्र के रूप में जन्म लें। 

बस उनकी निस्वार्थ भावना और स्वामी भक्ति को देख भगवान ने तथास्तु कह दिया और दशरथ का जीवन अनन्त काल तक सार्थक बन गया। मुनिश्री ने कहा कि मनुष्य का जीवन तब ही सुधर सकता है जब वह दूसरों के लिए त्याग की भावना रखेगा। कभी भी यह विचार नहीं आनें दें कि हे भगवन मेरे रास्ते के कांटे साफ करो,बल्कि यह विचार रखो कि हम हमारे रास्ते के कांटों के साथ भगवान के रास्ते के भी कांटे साफ करेंगे।

 बस इसी भावना में भगवान का वास है। और भगवान का वास है तो आपका जीवन सार्थक है। मुनिश्री ने कहा कि हर इंसान को सामाजिक कार्यों में पूर्ण भागीदारी निभानी चाहिए,जिससे जीवन जीने की शैली में आनन्द भर जाए।



 

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