देवउठनी एकादशी के दिन पूरे विधि-विधान से तुलसी से शालिग्राम का विवाह किया जाता है। इनके फेरे एक सुंदर मंडप के नीचे डाले जाते हैं, यह धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के लिए किया जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से तुलसी पूजन करना चाहिए।
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भगवान विष्णु की प्रतिमा तुलसी के सम्मुख रखकर दोनों को एक वस्त्र से छुआकर मंगलाष्टक पदों का पाठ करें। दोनों पर अक्षत चढ़ाकर भगवान श्रीविष्णु को तुलसी का दान करें। इसके बाद संक्षिप्त हवन करके तुलसी विवाह संपन्न करें।
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मंगलाष्टक पद :-
वा दृष्ट्वा निखिलाघसंघ शमनी स्पृष्ट्वा वपुः पावनी।
शेभाणामभिवन्दितां। निग्सनी सिक्तऽन्तत्रासिनी। प्रंत्यासन्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य सरोपिता।
न्यास्तातच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यैनमः
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