पारिवारिक सुख-समृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए षष्ठी व्रत किया जाता है। इस पर्व को स्त्री और पुरुष समान रूप से मनाते हैं। पुत्र सुख पाने के लिए भी इस पर्व को मनाया जाता है। सूर्य षष्टी के दिन देवी षष्टी की पूजा की जाती है। आज से छठ पूजा शुरू हो रही है आइए जानते हैं छठ व्रत कथा के बारे में ......
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छठ व्रत कथा :-
एक थे राजा प्रियव्रत उनकी पत्नी थी मालिनी, राजा रानी निःसंतान होने से बहुत दुःखी थे। उन्होंने महर्षि कश्यप से पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाया, यज्ञ के प्रभाव से मालिनी गर्भवती हुई परंतु न महीने बाद जब उन्होंने बालक को जन्म दिया तो वह मृत पैदा हुआ। प्रियव्रत इस से अत्यंत दुःखी हुए और आत्म हत्या करने हेतु तत्पर हुए।
प्रियव्रत जैसे ही आत्महत्या करने वाले थे उसी समय एक देवी वहां प्रकट हुईं। देवी ने कहा प्रियव्रत मैं षष्टी देवी हूं, मेरी पूजा आराधना से पुत्र की प्राप्ति होती है, मैं सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण करने वाली हूं। अतः तुम मेरी पूजा करो तुम्हे पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। राजा ने देवी की आज्ञा मान कर कार्तिक शुक्ल षष्टी तिथि को देवी षष्टी की पूजा की जिससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई, इस दिन से ही छठ व्रत का अनुष्ठान चला आ रहा है।
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एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान श्रीरामचन्द्र जब 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटकर आए तब राजतिलक के पश्चात उन्होंने माता सीता के साथ कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को सूर्य देवता की व्रतोपासना की और उस दिन से यह पर्व मनाया जाने लगा।
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