चेटीचंड महोत्सव 2017 : आज ही के दिन हुआ था भगवान झूलेलाल का अवतरण

Samachar Jagat | Wednesday, 29 Mar 2017 07:20:01 AM
Chetichand Festival 2017 Birthday of Lord Jhulelal

भगवान झूलेलाल के अवतरण दिवस को सिंधी समाज चेटीचंड के रूप में मनाता है। सिंधी हिंदुओं के उपास्य देव हैं झूलेलाल, जिन्हें ’इष्ट देव’ कहा जाता है। झूलेलाल को वरुण देवता यानि जल देव का अवतार माना जाता है। सिंधी समाज की मान्यता के अनुसार झूलेलाल की पूजा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। सिंधी बागे दामन फैलाकर यही मंगल कामना करते हैं कि सारे विश्व में सुख-शांति, अमन-चैन, कायम रहे और चारों दिशाओं में हरियाली और खुशहाली बनी रहे।

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मान्यता के अनुसार, सिंध का शासक मिरखशाह अपनी प्रजा पर अत्याचार करने लगा, जिसके कारण सिंधी समाज ने 40 दिनों तक कठिन जप, तप और साधना की। तब सिंधु नदी में से एक बहुत बड़े नर मत्स्य पर बैठे हुए भगवान झूलेलाल प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि मैं 40 दिन बाद जन्म लेकर मिरखशाह के अत्याचारों से प्रजा को मुक्ति दिलाउंगा।

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चैत्र माह की द्वितीया को इस बालक ने जन्म लिया जिसका नाम उडेरोलाल रखा गया। अपने चमत्कारों के कारण बाद में उन्हें झूलेलाल, लालसांई, के नाम से सिंधी समाज और ख्वाजा खिज्र जिन्दह पीर के नाम से मुसलमान पूजने लगे। चेटीचंड के दिन श्रद्धालु बहिराणा साहिब बनाते हैं। शोभा यात्रा में ‘छेज’ (जो कि गुजरात के डांडिया की तरह लोकनृत्य होता है) के साथ झूलेलाल की महिमा के गीत गाते हैं। ताहिरी (मीठे चावल), छोले (उबले नमकीन चने) और शरबत का प्रसाद बांटा जाता है। शाम को बहिराणा साहिब का विसर्जन कर दिया जाता है।

(Source-Google)

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