6 अप्सराओं ने दिया था कार्तिकेय को जन्म

Samachar Jagat | Thursday, 17 Nov 2016 01:20:07 PM
birth of Kartikeya

भगवान शिव के दो पुत्र थे एक थे गणेश और दूसरे कार्तिकेय। शिव के दूसरे पुत्र कार्तिकेय को सुब्रमण्यम, मुरुगन और स्कंद भी कहा जाता है। उनके जन्म की कथाएं बहुत ही विचित्र हैं, ये कथाएं इस प्रकार हैं....

जब पिता दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव की पत्नी सती कूदकर भस्म हो गईं, तब शिवजी विलाप करते हुए गहरी तपस्या में लीन हो गए। उनके ऐसा करने से सृष्टि शक्तिहीन हो जाती है। इस मौके का फायदा दैत्य उठाते हैं और धरती पर तारकासुर नामक दैत्य का चारों ओर आतंक फैल जाता है।

देवताओं को पराजय का सामना करना पड़ता है। चारों तरफ हाहाकार मच जाता है तब सभी देवता ब्रह्माजी से प्रार्थना करते हैं। तब ब्रह्माजी ने बताया कि तारक का अंत शिव पुत्र करेगा। तारकासुर दैत्य को मारने के लिए शिव-पार्वती ने एक पुत्र को जन्म दिया जो कार्तिकेय कहलाया। कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर देवताओं की दैत्यों से रक्षा की। पुराणों के अनुसार षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है।

दूसरी कथा :-

कार्तिकेय का जन्म 6 अप्सराओं के 6 अलग-अलग गर्भों से हुआ था और फिर वे 6 अलग-अलग शरीर एक में ही मिल गए थे। पार्वती ने इन छः सिरों को जोड़कर एक सिर में परिवर्तित किया। इस तरह कार्तिकेय का जन्म हुआ। कृत्तिकाओं यानि अप्सराओं ने इन्हें अपना पुत्र बनाया था, इसी कारण इनका नाम कार्तिकेय पड़ा।

 

 

 



 

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