अधिकतर लोग पूजा करने के बाद अपने मस्तक पर भस्म का तिलक लगाते हैं, होली पर भी होलिका दहन के बाद जो भस्म वहां से लाई जाती है, अधिकतर घरों में लोग उसका तिलक करते हैं। आखिर क्यों माथे पर भस्म लगाई जाती है। इससे क्या लाभ होता है आइए आपको बताते हैं इसके बारे में....
मस्तक पर हवन, यज्ञ या पूजा की गई भस्म ही लगाई जाती है, होली की अग्नि में घी और अन्य औषधीय पदार्थ डाले जाते हैं। इसी कारण ये भस्म बहुत लाभदायक होती है और इसे माथे पर लगाने से बुद्धि बढ़ती है।
भस्म में शरीर के अंदर स्थित दूषित द्वव्य सोख लेने की क्षमता होती है, शरीर के संधि, कपाल, छाती के दोनों हिस्से तथा पीठ आदि पर भस्म लेपन करने से कई तरह के चर्म रोग नहीं होते हैं।
शरीर पर भस्म लगाते समय पारंपरिक विविध मंत्रों का उच्चारण भी किया जाता है, भस्म हाथ पर लेकर थोड़ा गीला करके तर्जनी, मध्यमा और अनामिका अंगुलियों से लगाएं ये तीनों अगुंलियां पितृ, आत्म और देव तीर्थों के रूप में मानी गई हैं।
होली की राख को तॉबे या चॉदी के ताबीज में भरकर काले धागे में बॉधकर गले में धारण करने से कभी भी नजर दोष नहीं लगता है।