शस्त्रों पर नियंत्रण होना जरूरी: मुनिश्री

Samachar Jagat | Friday, 04 Nov 2016 02:21:18 PM
Arms control needs to be: Munishri

चंडीगढ़। मुनिश्री विनयकुमारजी आलोक ने कहा कि जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर ने भी दीपावली के दिन ही बिहार के पावापुरी में अपना शरीर त्याग दिया। दीपोत्सव का वर्णन प्राचीन जैन ग्रंथों में मिलता है। कल्पसूत्र में कहा गया है कि महावीर-निर्वाण के साथ जो अन्तज्र्योति सदा के लिए बुझ गई है, आओ हम उसकी क्षतिपूर्ति के लिए बहिज्र्योति के प्रतीक दीप जलाएं।

 ये विचार मुनिश्री आलोक ने पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के आवास पर आयोजित 2543 महावीर निर्वाण उत्सव में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहे। इस अवसर पर पंजाब सरकार के आईएएस, आईपीएस, पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस, शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

उन्होने विश्व शांति की चर्चा करते हुए महावीर के तीन सूत्रों पर बल देते हुए कहा अहिंसा,अपरिग्रह और अनेकांत इनमे ऐसी ताकत है कि विश्व एकजुट बनकर रह सकता है। आज सबसे बडी समस्या आतंक और हिंसा की है। अहिंसा के द्वारा इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। शस्त्रों पर नियंत्रण होना जरूरी है क्योकि उससे होड पहुंचती है और इससे विश्व में शांति पर खतरे के बादल मंडराते है। 

विचारों की परस्परता बनी रहे इसलिए अनेकांत का दर्शन बडा महत्वपूर्ण है। महावीर का निर्वाण पावापुरी में हुआ और उस निर्वाण के साक्षी के रूप में 16 देशों में राजा उपस्थित थे। मुनिश्री ने विश्व के नाम संदेश देते हुए कहा हर व्यक्ति को एकाकी दृष्टिकोण से ना सोचे सार्वजनिक दृष्टि से सोचे। 
बादल सभी समाज के लोगों को 36 कोम को साथ लेकर चलते है।

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पंजाब के मुख्यमंत्री बादल ने कहा मनीषी श्रीसंत को सुनने के बाद बोलने के लिए कुछ बचा ही नही है। पंजाब गुरूओं की भूमि है। आज भी जैन मुनि बडी ही कठिन साधन कर रहे है। मैं जब-जब भी मुनिप्रवर से मिला भयंकर सर्दी में एक ही परिधान में मुनिप्रवर को देखा सचमुच में ही मुनिप्रवर तपोमूर्ति है। कार्यक्रम का संचालन अणुव्रत समिति के के अध्यक्ष मनोज जैन ने किया।



 

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