अजमेर। राजस्थान के अजमेर में झंडे की रस्म के साथ ही अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 805वें सालाना उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हो गई। अस्र की नमाज के बाद झंडे का जुलूस लंगरखाना स्थित दरगाह गेस्ट हाउस प्रांगण से शुरू हुआ। गाजे बाजे, सूफियाना कलाम, कव्वालियों तथा पुलिस बैण्ड की मधुर लहरियो के बीच भीलवाड़ा से आया लाल मोहम्मद गौरी परिवार झंडे को थामे चल रहा था।
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सैयद अबरार अहमद की सदारत में गौरी परिवार के पोते फखरुद्दीन गौरी झंडे को जुलूस में लेकर चल रहे थे। लंगरखाना गली, नला बाजार, दरगाह बाजार होते हुए जुलूस दरगाह के निजाम गेट से दरगाह परिसर में प्रवेश कर 85 फुट ऊंचे बुलंद दरवाजे पहुंचा जहां पर झंडा चढ़ाकर सालाना उर्स का आगाज किया गया।
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इस दौरान दरगाह के पीछे पीर साहब की पहाड़ी से तोपो की सलामी भी दी गई। रोशनी से पूर्व गौरी परिवार अकीदत का नजराना ख्वाजा साहब की मजार पर पेश किया। इस मौके आये जायरीनों ने दरगाह में देश में अमन चैन खुशहाली की दुआ की। झंडे के जुलूस को देखने, उसे चूमने और झंडे का दीदार करने के लिए दरगाह क्षेत्र आशिकाना-ए-ख्वाजा से पटा पड़ा रहा। प्रशासनिक प्रतिबंध के बावजूद मुस्लिम महिला, पुरुष, बच्चे तथा बुजुर्ग क्षेत्र के मकानों, होटलों, भवनों तथा दरगाह परिसर की छतों पर बड़ी संख्या में जमा रहे।
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