अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि अवैध अप्रवासियों पर उनका सख्त रुख कायम है। सीबीएस चैनल पर प्रसारित होने वाले एक साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के साथ ही वह अवैध तरीके से देश में रह रहे 30 लाख लोगों को देश से निकालने की प्रक्रिया शुरू कर देंगे। जिन लोगों ने यह उम्मीद की थी कि चुनाव जीतने के बाद ट्रंप अपने विभाजनकारी एजेंडे में नरमी लाएंगे, उन्हें उनकी इस बात से झटका लगा है।
चुनाव नतीजा आने के अगले दिन ट्रंप की वेबसाइट से मुसलमानों के अमेरिका आने पर रोक लगाने की बात गायब हो गई। इससे अनुमान लगाया गया कि ट्रंप अब नस्लीय-मजहबी मुद्दों से हटकर प्रशासन संबंधी गंभीर मामलों पर ध्यान देंगे। मगर एक ही दिन बाद मुसलमानों का मुद्दा फिर उनकी वेबसाइट पर आ गया। अब उन्होंने कहा कि उनके शासनकाल की शुरुआत में ही तीस साल अवैध प्रवासियों को निकाला जाएगा या फिर उन्हें जेल में डाला जाएगा।
सीबीएस चैनल को दिए गए इस इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि कार्रवाई आपराधिक रिकार्ड वाले प्रवासियों के खिलाफ होगी। ट्रंप ने चुनाव के दौरान मैक्सिको से लगती सीमा पर दीवार बनाने का वादा किया था। ताजा इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वो इस पर कायम है। ट्रंप ने कहा-जो अपराधी है और जिनके खिलाफ आपराधिक रिकार्ड है, गैंग के सदस्य है, ड्रग डीलर, हम उनका पता लगाएंगे। ऐसे बहुत से लोग हैं।
संभावना है कि ऐसे बीस लाख लोग हैं। इनकी संख्या तीस लाख भी हो सकती है। हम उन्हें देश से बाहर निकालेंगे या फिर उन्हें जेल में डाला जाएगा। ट्रंप अगले साल 20 जनवरी को कार्यभार संभालेंगे। क्योंकि ताजा चुनाव के बाद अमेरिकी संसद-कांग्रेस के दोनों सदनों में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत हो गया है। अत: माना जा रहा है कि ट्रंप ने अपना एजेंडा लागू करना चाहा तो इसमें कठिनाई नहीं आएगी।
माना जा रहा है कि अमेरिका में 1.10 से 1.15 करोड़ अवैध अप्रवासी है। इसके साथ ही 2.50 लाख भारतीयों के भी अमेरिका में बिना दस्तावेज रहने की आशंका है। 1.1 करोड़ लातिन अमेरिकी वहां रहते हैं। इनमें अधिकतर मैक्सिको से है। यहां यह उल्लेखनीय है कि चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने अपने मतदाताओं से वादा किया था कि वह मैक्सिको से लगती दक्षिणी सीमा पर ऊंची दीवार खड़ी करेंगे।
ताकि मैक्सिको से घुसपैठ नहीं हो सकें। हालांकि यह दीवार पूरी तरह ईंट और कंकरीट की नहीं होगी। उनका आशय सुरक्षा से है। हां निश्चित तौर पर कुछ सबसे संवेदनशील स्थानों पर यह दीवार खड़ी की जाएगी। ट्रंप ने चुनाव अभियान के दौरान कहा था कि राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान अप्रवासियों के लिए शुरू की गई माफी योजना को वे खत्म करेंगे और अप्रवासन कानूनों को सख्ती से लागू करेंगे।
अब साफ है कि वे इस योजना पर कायम है। इसका खतरा यह है कि अमेरिका में उनकी जीत के साथ दिखा सामाजिक विभाजन और बढ़ सकता है। उनके जीतने के बाद से बड़ी संख्या में छात्र-नौजवान सडक़ों पर उतरें हैं। ये लोग ट्रंप को अमेरिका के लिए खतरा मानते हैं। ट्रंप के ताजा बयान से उनके समर्थकों और विरोधियों की खाई भरते ही आशाएं कमजोर पड़ी है। ट्रंप यद्यपि रिपब्लिकन पार्टी से निर्वाचित हुए हैं किन्तु वे पारंपरिक अर्थ में रिपब्लिकन नहीं हैं।
अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी दक्षिण पंथी, कंजरवेटिव और यथास्थितिवादी वर्गों के हितों वर्गों की नुमाइंदगी करती है। लेकिन ऐसा वह राजनीतिक एवं संवैधानिक मर्यादाओं के दायरे में रहते हुए करती थी। डोनाल्ड ट्रंप ने आरंभ से ही वे मर्यादाएं तोड़ी। धार्मिक एवं नस्लीय समूहों तथा महिलाओं के खिलाफ ऐसी बातें कही, जिन्हें बोलना पहले वर्जित माना जाता था।
नतीजन रिपब्लिकन पार्टी के अनेक दिग्गजों ने उन्हें समर्थन देने से इंकार कर दिया। इसलिए धारणा ये बनी थी कि मध्यमार्गी हिलेरी क्लिंटन आसानी से जीत जाएंगी। अब यह साफ है कि चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षण करने वाली एजेंसियां तथा अमेरिकी मीडिया का बहुत बड़ा हिस्सा ऐसी ही धारणाओं से प्रभावित होकर चला। वे जमीनी स्तर पर जारी अंतर्धारा का आभास पाने में विफल रहे।
मतदान के दिन तक वे डेमोके्रटिक उम्मीदवार की आसान जीत की भविष्यवाणियां वे करते रहे। लेकिन मतगणना शुरू हुई तो कुछ घंटों के अंदर ही उलटी तस्वीर उभरने लगी। डोनाल्ड ट्रंप ने वैसे ही सबको चौंका दिया, जैसे इस वर्ष आरंभ में उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी की होड़ के समय किया था। जो सोचना पहले असंभव था, वह अब हकीकत है। ढ़ाई महीने बाद ट्रंप व्हाइट हाउस में होंगे।
वे दुनिया के सबसे ताकतवर व्यक्ति होंगे, जिनके हाथ में परमाणु हथियारों के बटन, वैश्विक कूटनीति के सूत्र और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बुनियादी रूप से प्रभावित करने वाली शक्ति होगी। ट्रंप क्या है? उनकी नीतियां क्या है? वे किस दिशा में जाएंगे। इस बारे में फिलहाल कोई अनुमान लगाना कठिन है। अब तक उनकी छवि मूडी व्यक्ति की है, जिसने अब तक का जीवन विलासिता में गुजारा है।
राजनीति मेें कदम उन्होंने लोगों के डर और पूर्वाग्रहों को व्यक्त करते हुए अथवा कहें कि इन्हें भडक़ाते हुए रखा। यह फार्मूला कामयाब हुआ। लेकिन अब उन्हें नीति और राजनीति के गंभीर कार्य करने होंगे। फिलहाल संकेत उस एजेंडे से ही ग्रहण किए जा सकते हैं, जिस पर ट्रंप ने चुनाव लड़ा।
अति धनी लोगों के लिए करों में कटौती, आव्रजको-खासकर मुस्लिम आव्रजकों पर पाबंदी बहुपक्षीय व्यापार समझौतों तथा जलवायु परिवर्तन जैसी संधियों से अमेरिका की वापसी चुनाव अभियान में उनके एजेंडे के प्रमुख बिंदु थे। यह सब कैसे करेंगे, किसी को अंदाजा नहीं है। पर वे अवैध प्रवासियों को निकालने के अपने एजेंडे पर अडिग है।