नई दिल्ली। गरीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत दीनदयाल अंत्योदय योजना में आजीविका अर्जन के वास्ते लोगों को ऋण उपलब्ध कराने और उनके कौशल विकास में तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सबसे आगे बने हुए हैं। आवास एवं शहरी उन्मूलन मंत्रालय के आंकडों के अनुसार पिछले तीन साल के दौरान तमिलनाडु ने 30 हजार 258 शहरी गरीबों को आजीविका अर्जन के लिए सब्सिडी पर ऋण उपलब्ध कराया है और एक लाख 4448 लोगों का कौशल विकास किया है।
इसके अलावा राज्य में 24 हजार 245 स्व सहायता समूहों का गठन किया गया है। उत्तर प्रदेश ने एक लाख 89 हजार 831 लोगों का कौशल विकास किया है और 14 हजार 138 लोगों को सब्सिडी पर ऋण दिया है। राज्य में 15 हजार 954 स्व सहायता समूह भी बनाए गए हैं। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन सितंबर 2016 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य शहरी गरीब लोगों के लिए आजीविका साधन उपलब्ध कराना और उनके जीवन स्तर में सुधार करना है।
आरंभ में यह कार्यक्रम 790 शहरों में शुरू किया गया था जिसे फरवरी 2016 में 4041 शहरों तक बढ़ाया गया। वर्ष 2014 से अभी तक आठ लाख 7187 शहरी गरीब लोगों का कौशल विकास किया गया है। कुल एक लाख 35 हजार 158 लोगों को सब्सिडी पर ऋण उपलब्ध कराया गया है और एक लाख 62 हजार 285 स्व सहायता समूहों का गठन किया गया है।
स्व सहायता समूह का गठन स्थानीय स्तर पर कुछ लोगों को मिलाकर किया जाता है जो सदस्यों को ऋण उपलब्ध कराता हैं। इसके लिए आधार पूंजी सरकार बैंक के जरिए उपलब्ध कराती है। लोगों को कौशल विकास के उपरांत उद्योग स्थापित करने के लिए सब्सिडी पर ऋण दिया जाता है। आंकड़ों में बताया गया है कि मध्यप्रदेश में एक लाख 17 हजार 133 लोगों को ऋण दिया गया है और 26 हजार 558 लोगों का कौशल विकास किया गया है।
इसके अलावा राज्य में 8973 स्व सहायता समूहों का गठन किया गया है। इसी तरह से आंध्रप्रदेश में 45 हजार 236, छत्तीसगढ़ में 30 हजार 22, पश्चिम बंगाल में 64 हजार 277, कर्नाटक में 38 हजार सात, महाराष्ट्र में 29 हजार 317, बिहार में 29 हजार 762, तेलंगाना 15 हजार 546 और गुजरात में 12 हजार शहरी गरीब लोगों का कौशल विकास किया गया है।
सब्सिडी आधारित ऋण आंध्रप्रदेश में 15 हजार 617, छत्तीसगढ़ में 8185, पश्चिम बंगाल में 2118, कर्नाटक में 8799, महाराष्ट्र में 8202, बिहार में 890 , तेलंगाना 3182 और गुजरात में 2216 शहरी गरीब लोगों को दिया गया है। आंध्रप्रदेश में 12 हजार 278, छत्तीसगढ़ में 14 हजार 393, पश्चिम बंगाल में 10 हजार 871, कर्नाटक में 5021, महाराष्ट्र में 6921, बिहार में 8390, तेलंगाना 10 हजार 97 और गुजरात में 7186 शहरी गरीब लोगों के लिए स्व सहायता समूह का गठन किया गया है।