आज कुछ यूँ खुद से मुलाकात हुई
शांत से होंठ और काफी देर ना दिमाग से बात हुई....
तलाश थी जिस शाम ऐ सुकून की
बड़ी सहजता से उन लम्हों से बातें खास हुई||
कोशिश बड़ी थी हमारी इस एहसास से दोस्ती की
आज बिना प्रयास किए ही उसने हमें गले लगाया
कुछ पल ही तो थे वो कहने भर को- 2
पर लगता है ऐसा जैसे सदियों से अधूरी कोई पूरी बात हुई||
ठहर सा गया था वक्त कुछ ऐसे-2
न बीते पल की और ना आने वाले पल की मन से बात हुई
हर साँस जैसे एक पूरी जिंदगी हो ऐसे ही कुछ पलों से मुलाकात हुई
जान ली जैसे पूरी जिंदगी हमने ऐसी कोई राज की बात हुई||
तन सहज था,मन सहज था और सहज थी मेरी आत्मा
कुछ ऐसा हो गया उस पल में की आनंद की बरसात हुई||
यह दौर अभी जारी था कि किसी ने बोला-लो जी आपका स्टेशन आ गया|
थोडा हड्बडाये,थोडा संभले और फिर मुस्कुराए हम....
आज कुछ यूँ खुद से मुलाकात हुई||