जन-जन की आस्था का केन्द्र श्री महावीरजी

Samachar Jagat | Monday, 10 Apr 2017 01:00:32 PM
Shri Mahavirji, the center of the people's faith

भावनात्मक एकता के वास्तविक प्रतीक के रूप में राजस्थान में एक ऐसा पावन पवित्र और शांत तीर्थस्थल है जो तीर्थकर भगवान महावीर का होते हुए भी जाति, वर्ग और सम्प्रदाय के लोगों के  लिए खुला है। यह सर्वोदय तीर्थ ऐसे जैन तीर्थकर की दिगम्बर प्रतिमा का उद्भव स्थल है, जिनका जन्म लगभग 5290 वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ला 13 को कुंडलपुर ग्राम मे हुआ था, पिता सिद्घार्थ  वैशाली राज्य मे कुंडलपुर ग्राम के क्षेत्रीय कुंडलपुर के गणतांत्रिक नायक और माता त्रिशला थी। बचपन में उन्हें वर्धमान  के नाम से पुकारा जाता था । 

वे बड़े शूरवीर धीर और गम्भीर थे उनकी  वीरता की अनेक घटनाएं है इसलिये उनको महावीर के नाम से जानने लगे। एक दिन संगम नामक एक देव अत्यन्त भयानक विशधर का रूप धारण कर राजकुमार की निर्भीकता तथा शक्ति  की परीक्षा करने आया। राजकुमार वर्धमान चलकर, काकधर, पक्षधर तथा अन्य किशोर बालकों के साथ एक वृक्ष के नीचे खेल रहे थे, वह विकराल सर्प फुंकार मारता हुआ उस वृक्ष से लिपट  गया। उसे देखकर सब लडक़े बहुत भयभीत हुए, वे अपने अपने प्राण बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे, कुछ भय से मूर्छित होकर पृथ्वी पर गिर पड़े, परन्तु कुमार वर्धमान सर्प को  देखकर रंचमात्र भी न डरे। 

उन्होंने निर्भयतापूर्वक सर्प के साथ क्रीड़ा की और उसे दूर कर दिया। राजकुमार वर्धमान  की निर्भयता देखकर वह देव बहुत प्रसन्न हुआ, उसने प्रकट होकर वर्धमान   तीर्थंकर की स्तुति की एवं उनका नाम महावीर रखा। महावीर ने 30 वर्ष की अवस्था मे मार्गशीर्ष शुक्ला 10 को गृह त्यागा, नग्न दिगम्बर दीक्षा ली और दीक्षा तत्पश्चात् लगभग 12 वर्ष कठोर  तपस्या कर केवल ज्ञान प्राप्त किया। 

उन्होनें 30 वर्ष तक स्थान-स्थान पर विहार कर अंहिसा, सत्य, अचौर्य, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य का उपदेश दिया तथा कार्तिक मास की अमावस्या की  प्रात: बेला में 72 वर्ष की आयु में निर्वाण प्राप्त किया। श्रीमहावीर के सिद्घान्तों को पालन सबके लिए हितकर, सुखमय एवं उपदेश न केवल एक धर्म या जाति, सम्प्रदाय, तथा युग विशेष के  लिए है, बल्कि प्राणी मात्र के कल्याणार्थ युग-युगान्तर के लिए है। श्रीमहावीर ने जीव कल्याण के लिए अंहिसा का मार्ग दर्शाया तथा ‘जीओ और जीने दो’ का मंत्र दिया। 

यातायात की सुविधाएं:-यह सुविख्यात दिगम्बर जैन तीर्थ श्रीमहावीरजी राजस्थान के पूर्वी अंचल में करौली जिले के हिंडौन उपखण्ड में गभीर नदी के सुरम्य तट पर स्थित है। दिल्ली से बम्बई को जाने वाली पश्चिमी रेलवे की बड़ी लाइन पर ‘श्रीमहावीरजी  नाम से स्टेशन है जहां सभी प्रमुख टे्रन ठहरती है। स्टेशन से तीर्थस्थल 7 किलोमीटर है। सडक़ मार्ग से भी श्रीमहावीरजी  अनेक नगरों से जुड़ा हुआ है। यह जयपुर से 140, आगरा से 170, दिल्ली से 300 और महुआ से 60 किलोमीटर दूर है। 

इस तीर्थ क्षेत्र से जयपुर, अजमेर, पदमपुरा, अलवर, तिजारा,  हस्तिनापुर, भरतपुर, आगरा, ग्वालियर , सोनागिरी, दिल्ली मेरठ को सीधी बस सेवाएं है और उदयपुर तथा केसरियाजी तीर्थ को भी बस सेवा से जोडऩे की योजना है। श्रीमहावीरजी रेलवे  स्टेशन से तीर्थ क्षेत्र तक कमेटी द्वारा नि:शुल्क बस की व्यवस्था है जो सभी ट्रेनों पर उपलब्ध रहती है। 

प्रतिमा का उद्भव :- ऐसा कहा जाता है कि यहां कोई चार सौ वर्ष पूर्व चौबीसवें तीर्थकर श्रीमहावीरजी की मूंगावर्णीय पाषाण की दिगम्बर प्रतिमा का भू-गर्भ से उद्भव गावं के एक कृषक  ग्वाले के हाथों से हुआ था। ग्वाले की गाय का दूध गंभीर नदी के एक टीले पर पहुंचने पर स्वत: ही झरने लगता था। गाय जब कई दिन तक बिना दूध के घर पहुचने लगी तो ग्वाले ने कारण  जानना चाहा और उसने जब यह चमत्कार देखा तो जिज्ञासावश टीले की खुदाई की।

 वहां भगवान महावीर की दिगम्बर प्रतिमा प्रकट हुई, जिसे पाकर वह आनन्दमय हो गया। अंहिसा एवं  अपरिग्रह के उत्प्रेरक तीर्थकर महावीर की प्रतिमा का इस प्रकार से प्रकट होना सभी धर्म, जाति व सम्प्रदाय के लोगों के लिए आनंदकारी और कल्याणकारी हो गया और इसकी ख्याति फैलती  ही गई। 

देवालय का कलात्मक वैभव:- भगवान महावीर की अतिशय क्षेत्र उद्भव से प्रभावित होकर श्रद्धा भावना से बनवाये गये इस विशाल मंदिर के गंगनचुम्भी, धवलशिखर एवं स्वर्ण कलशों पर फहराती जैन धर्म की  ध्वजाएं, सम्यक दर्शन सम्यक् ज्ञान सम्यक् चरित्र का संदेश और उनकी अनुपालना की प्रेरणा दे रही है। मंदिर की वेदी में मूलनायक के रूप मे भगवान महावीर की  मनोज्ञ प्रतिमा विराजमान है, मूलनायक के दोनों ओर तीर्थकर पुष्पदंत एवं आदिनाथ की प्रतिमाएं है अन्य कलापूर्ण वेदियों में अनेक तीर्थकर की पासान प्रतिमाएं एवं धातु की दिगम्बर प्रतिमाएं  है। मंदिर में क्षेत्रपाल व पदमावती दोनो ही विराजमान है, यहॉ शनै-शनै मंदिर का विस्तार भी होता गया, जो अब भी निरतंर जारी है, मंदिर के मुख्यकक्ष में भगवान महावीर की उत्सव प्रतिमा बीचो-बीचों विराजमान है। 

मंदिर के भीतरी एवं बाहरी प्रकोष्ठो में संगमरमर दीवारों पर आकर्षक व बारी खुदाई से तथा भित्ती चिंत्राकन ने मंदिर छटा को आकर्षक और प्रभाव कारी बनाया  गया है। चिंत्राकन में दिगम्बर जैन शैली के स्वर्णतैल चित्र भी है, मंदिर के बाह परिक्रमा में स्वत संगमर पर दिगम्बर जैन आख्यानों के कलात्मक भाव उर्कीण किये गये है। सुदंर प्ररिक्रमा पक्ष  श्रद्धालुओं द्वारा फेरी लगाकर मनोतीयां मनायी जाती है। मंदिर के चारों ओर बढा कटला और बीच मे विशाल देवालय है, जिसके मुख्य द्वार के सम्मुख 52 फिट ऊॅचा संगमरमर से निर्मित भाग  स्तम्भ है जिसके शीर्ष पर चार तीर्थकरों की प्रतिमाऐं है। मंदिर की यह कलात्मक छटा यात्रियों को दूर से ही आकर्षित करती है। 

श्रीमहावीरजी तीर्थ स्थल पर प्रतिदिन होने वाली संध्यादीप  आरती भी मंदिर में विोष महत्व रखती है। दीपों का समूह आरती की गूंज के साथ सारे मंदिर को दैवीप्यमान कर देती है और इससे भक्तजन भाव-विभोर होकर अपनी यात्रा को धन्य मानते है।  दीप समूह मंदिर के कला वैभव को और भी आकर्षित बना देते है। श्रीमहावीरजी का मंदिर एक सुंदर कटले के मध्य मे है। कटले के चारों ओर यात्रियों के आवास के लिए सुविधापूर्ण कमरे बने  हुए है। आसपास में सुंदर उद्यान है। 

चरण चिन्ह:-भगवान महावीर की प्रतिमा का पावन उद्गम पर चरण चिन्ह प्रतिष्ठित है और वहां एक कलापूर्ण छतरी बनी हुई है। वहां संदर उद्यान भी बच्चों के मनोरंजन हेतु विकसित किया  गया है। चिन्ह छतरी के सम्मुख ही प्रांगण मे 29 फिट ऊंचा महावीर स्तूप है जिसका निर्माण भगवन के 2500 वें निर्वाणोत्सव वर्ष में हुआ। यहां चढऩे वाली सामग्री द्रव्य राशि आज भी उसी  चर्मकार के वंशज प्राप्त करते है जिसे प्रतिमा को भूमि से खोदकर निकालने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 


दीप आरती:- तीर्थस्थल पर प्रतिदिन होने वाली संध्या दीप आरती श्रीमहावीरजी के मंदिर में अनूठी छवि रखती है। दीपकों का समूह आरती की गंूज के साथ सारे मंदिर को देदीप्यमान कर देता  है और इससे भक्तगण भाव-विभोर होकर अपनी यात्रा से संतुष्ट होते है। दीप समूह मंदिर के कला वैभव को और भी आकर्षित करते है।

स्वागत कक्ष:- कटले के बाहर प्रवेश द्वार के निकट निर्मित स्वागतकक्ष में यात्री विभिन्न धर्माालाओं में आवासीय सुविधा एवं क्षेत्र संबंधी समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते है। स्वागत कक्ष 24  घण्टे सेवारत रहता है। 

कटला परिसर:- कटला परिसर के मध्य ही तीर्थकर महावीर स्वामी का मुख्य जिनालय सुस्थापित है। वर्तमान में जहां भगवान की मूलनायक प्रतिमा विराजमान है, उसके नीचे की मंजिल में ही लाल पाषाण से निर्मित प्राचीन कलात्मक मंदिर है। इस स्थल की सफाई कराकर इसे ध्यान केन्द्र के रूप में  विकसित किया गया। 

ध्यान केन्द्र में भगवान महावीर का एक विशाल चित्र  शोभायमान है। 1998 मे स्थापित ध्यान केन्द्र में बहुमूल्य रत्न प्रतिमाओं का अद्वितीय संकलन आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है। ये प्रतिमाएं धर्मानुरागी जयपुर के पंसारी परिवार द्वारा भेंट की गई  है। 

श्रीमहावीरजी वार्षिक मेला:- महावीर जयंती पर प्रतिवर्ष यहां विशाल मेला भरता है। यह मेला प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला दशमी से वैशाख कृष्णा द्वितीया तक भरता है, जो लक्खी मेला कहलाता है।  राजस्थान के ग्रामीण अंचल के साथ ही पूरे भारत से जैन-अजैन श्रद्धालु मेले में भाग लेते है और मूलनायक भगवान श्रीमहावीर की मूंगावर्णी प्रतिमा के दर्शन कर धन्य होते है। 

इसके अतिरिक्त  अन्य अलौकिक मनोज्ञ प्रतिमाओं के दर्शन का भी लाभ मिलता है। मेला स्थल पर मीणा, गुर्जर, जाटव, अहीर, चर्मकार, जैन-अजैन सभी जाति-विरादरी के श्रद्धालुओं की उपस्थिति देखने को  मिलती है। कई भक्तजन तो मीलों दूर से साष्टांग कनक दण्डवत करते हुए आते है और भगवान के समक्ष मनोकामनाएं लेकर श्रद्धासुमन चढ़ाते हैं। मेले की व्यवस्था में श्री वीरसेवक मण्डल,  जयपुर का सहयोग लिया जाता है।

चलती ट्रेन से भगवान के दर्शन:-रेल्वे स्टेशन के प्लेटफार्म पर कत्थई रंग के ग्रेनाइट पत्थर से बने अत्यन्त मनोहर कलापूर्ण और आकर्षक स्तम्भ के बीच क्रिंकल ग्लास से जडित भगवान  महावीरजी का चित्र शोभित है, जिसके दर्शन यात्रियों को चलती ट्रेन से भी हो जाते है। पूरे देश भारत में श्री महावीर जी तीर्थ क्षेत्र के रेलवे स्टेान पर एक विशेष व्यवस्था है यहां कोई यात्री रेलवे  स्टेशन पर बिना रूके आगे रेल यात्रा में बढ़ रहा हो तो उसके मन में यह अभिलाषा सदैव रहेगी कि वह भी उस पुण्य स्थल पर रुक कर दर्शन प्राप्त कर सकता होता और भगवान श्री का आशीर्वाद  लेने का अवसर पाता। ऐसे यात्री अपने आपको भाग्यााली समझते है। 

आदर्श तीर्थ क्षेत्र की ओर बढते कदम:-प्रबंधकारिणी कमेटी के अध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल, मंत्री महेन्द्रकुमार पाटनी, पूर्व अध्यक्ष जस्टिस नगेन्द्रकुमार जैन, पूर्व अध्यक्ष जस्टिस एन.एम.  कासलीवाल, पूर्व मंत्री नरेन्द्र पाटनी, पूर्व मंत्री प्रकाशचन्द्र जैन एवं सभी सदस्यों के अथक प्रयासों से यात्रियों के ठहरने के लिये सभी सुविधाओं से युक्त 51 कमरों की नई ए.सी. धर्मशाला  लाला उमरावसिंह जैन बनाई गई है। 

धर्मशाला में लिफ्ट की सुविधा भी है और यात्रियों के सुरुचि अल्पाहार गृह संचालित है । प्रबन्धकारिणी कमेटी के पदाधिकारीयों व सभी सदस्यों ने इस  क्षेत्र को आदर्श और अनुकरणीय तीर्थ स्थल बनाने के लिए सेवा व समर्पित भाव से अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 

अध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल ने बताया कि यात्रियों की सुविधार्थ भव्य  स्वागतकक्ष स्थापित है जहां यात्री पहुंचकर किसी भी धर्मशाला में ठहरने के लिये कमरे की बुकिंग करा सकता है । इसके अलावा देश-विदेश के किसी भी भाग से यात्री कमरों की ऑन-लाइन  बुकिंग करा सकते है ।  क्षेेत्र पर यहां यात्रियों के ठहरने के लिये सन्मति धर्मशाला, कुन्द कुन्द धर्मशाला, वर्धमान धर्मशाला, यात्रीनिवास, व मंदिर परिसर में कटला धर्मशाला, चरणछत्री धर्मशाला उपलब्ध है एवं अन्य धर्मशाला बनाने की भी योजना है। 

अध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल ने बताया कि मन्दिर कमेटी द्वारा यात्रियों एवं स्थानीय लोगों की सुविधार्थ श्रीमती चन्द्रावली सिद्धोमल जैन अस्पताल एवं प्रसूति गृह, योग-प्राकृतिक चिकित्सालय,  आयुर्वेदिक औषधालय, व शिक्षा के क्षेत्र में भी रेलवे स्टेशन पर श्री महावीर दिगम्बर जैन उच्च प्राथमिक विद्यालय नि:शुल्क चलाया जा रहा है। विद्यालय में वर्ष में दो बारे छात्रों को गणवेश, पाठ्य  पुस्तकें नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं एवं प्रतिदिन पोषाहार भी खिलाया जाता है। 

विद्यालय में 10 शिक्षक व 1 प्रधानाचार्य एवं लिपिक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत हैं । शैक्षिक  गतिविधियां के साथ-साथ समय-समय पर स्काउटींग, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि आयोजित होते है। यात्रियों की सुविधार्थ क्षेत्र पर सुरुचि अल्पाहार गृह एवं अन्नापूर्णा भोजनालय भी  संचालित है।

 रेलवे स्टेशन से श्री महावीरजी तक आने-जाने के लिये यात्रियों के लिये कमेटी द्वारा बसों का भी प्रबन्ध नि:शुल्क किया गया है।  क्षेत्र कमेटी द्वारा पेयजल आपूर्ति हेतु दो उच्च जलाशयों का  निर्माण कराया गया है, तथा कई स्थानों पर सार्वजनिक प्याऊ भी संचालित है। क्षेत्र में बिजली आपूर्ति हेतु अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के अलावा उच्च क्षमता के जनरेटर सेट्स भी लगवाये  गये है।

 क्षेत्र पर सभी मूलभूत एवं आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध है जैसे-पानी, बिजली, डाक-तार, टेलीफोन, बैंक, वाचनालय, पुस्तकालय, धर्मशालाएं, बालोद्यान, पेट्रोल पम्प आदि। क्षेत्र  लोकोपकारी और समाजोपयोगी कार्यो मे सदैव अग्रणी रहा है।

श्री महावीरजी मंदिर कमेटी अध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल, उपाध्यक्ष नरेन्द्र कुमार पाटनी, शान्ति कुमार जैन, मंत्री महेन्द्र कुमार पाटनी, संयुक्त मंत्री सुभाष चन्द जैन, उमरावमल संघी,  कोषाध्यक्ष विवेक काला, ने बताया कि क्षेत्र की प्रबन्धकारिणी कमेटी के सभी सदस्यों का यह ध्येय है कि श्री महावीरजी में आने वाले यात्रिगणों को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो।  

मंत्री महेन्द्र कुमार पाटनी ने बताया कि आने वाले समय में और भी नई धर्मशालाओं का निर्माण किया जायेगा, जिससे क्षेत्र पर आने वाले यात्रिगणों को ठहरने के लिए इधर-उधर न भटकना  पड़ें। क्षेत्र में आने वाले यात्रिगणों का पूरा ध्यान रखा जायेगा। क्षेत्र में पूर्णतया स्वच्छ भारत मिशन तहत महावीरजी भी स्वच्छता की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा।
 



 

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