ढूंढ़ता रहता हूँ खुद को खुद के ही सायें में – 2
जब से तलाश ज़माने में मैंने करनी छोड़ी है
छोड़ा है सवाल करना मैंने उन नादाँ साथीयों से
जवाब अब खुद से ढूंढने कई बाकी है
दर्द को भुलाने के लिए बहुत झुठ बोले मैंने खुद से – 2
ख़ुशी को गले लगाने के लिए कुछ सच बोलने अभी बाकी है
लड़खड़ाये मेरे कदम राहे जिंदगी पर तो क्या
कदमों की लय ताल अभी बाकी है
निकले जो तलाश में सच की हर सच का निकला एक और चेहरा
ये चेहरा वो चेहरा हर चेहरे पर फिर एक चेहरा.........
तलाश चेहरों की छोड़ दिल से रूबरू होना अभी बाकि है
देखा है खुद को मैंने अभी तक इस भीड़ की नजर से-२
अब जरा सवांर लु अपने आप को फुरसत से
सामना खुद की नज़रों से होना अभी बाकी है
ढूंढ़ता रहता हूँ खुद को खुद के ही सायें में – 2
तलाश अभी खुद की बाकी है