कुलभूषण जाधव मामले में पाक का अड़ियल रुख

Samachar Jagat | Friday, 21 Apr 2017 01:03:28 PM
Pakhi's stern stand in Kulbhushan Jadhav case

पाकिस्तान की समुद्री सुरक्षा एजेंसी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल 16 से 19 अप्रैल के बीच नई दिल्ली के दौरे पर आने वाला था। इस दौरान दोनों देशों में मछुवारों की रिहाई समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा होनी थी। 

तटरक्षक बल के सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्रालय ने प्रतिनिधिमंडल के दौरे को मंजूरी नहीं दी। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि जब पाकिस्तान ने सभी अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को ताक पर रखकर जाधव को फांसी देने का फैसला किया है तो भारत की तरफ से अब कोई बात नहीं होगी। मालुम हो कि भारत-पाक के बीच उरी हमले के बाद से बातचीत बंद थी, लेकिन मार्च में दोनों देशों ने समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर बातचीत करने की सहमति जताई थी। कुलभूषण जाधव तक राजनयिक पहुंच प्रदान करने की मांग को पाक ने पहले ही खारिज कर दिया है। 

वहीं अब तक जाधव के खिलाफ दायर आरोप पत्र की प्रति भी भारत को नहीं दी गई है। यहां यह बता दें कि जासूसी, तोडफ़ोड़ और आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव जो कि पूर्व नौ सेनाकर्मी है, को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते लगातार खराब होते गए हैं। अब भारत ने पाकिस्तान के साथ होने वाली सभी वार्ताएं अस्थायी तौर पर रद्द कर दी है। पिछले हफ्ते अमेरिका की मध्यस्था में दोनों देशों के प्रतिनिधियो के बीच सिंधु जल आयोग की बैठक होनी थी, उसे रोक दिया गया। जैसा कि ऊपर कहा गया है, इस हफ्ते नई दिल्ली में समुद्री सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर दोनों देशों के तटरक्षक बलों की होने वाली बैठक को आखिरी समय में रद्द कर दिया। जैसा कि पूर्व में ही कहा गया है, पिछले साल पठानकोट और उरी हमलों के बाद दोनों देशों के बीच किसी भी तरह की बातचीत बंद हो गई थी। 

मगर पिछले महीने सिंधु जल मसले पर बातचीत के लिए भारतीय शिष्टमंडल पाकिस्तान गया तो एक बार फिर बातचीत का सिलसिला शुरू होने की उम्मीद बनी। उसी के आधार पर निम्न स्तर की कुछ बैठकें तय हुई थी, मगर अब ऐसी किसी भी बातचीत पर विराम लग गया है। भारत-पाकिस्तान रिश्तों में ताजा कड़वाहट कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान के अडि़यल रवैए की वजह से आई है। भारत की तरफ से जाधव के खिलाफ दायर आरोपों और अदालती फैसले की प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध कराने के लिए 14 बार अपील की गई, मगर पाकिस्तान ने उससे जुड़ी कोई भी जानकारी उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया।

 यहां तक कि जाधव को कोई परामर्शदाता उपलब्ध नहीं कराया गया। पाकिस्तान ने जिस तरह का अडि़यल रवैया अपनाया है, उसका कोई स्वीकार्य कारण तलाशना मुश्किल है। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों पर सलाहकार सरताज अजीज ने साफ कर दिया है कि जाधव तक भारतीय उच्चायोग को पहुंचने नहीं दिया जाएगा तथा उसे फांसी पर चढ़ाया जाएगा। अजीज की माने तो उसे फांसी देने पर सभी दलों में आम सहमति है। जबकि अजीज का झूठ उस समय बेनकाब हो गया, जबकि पाक के मुख्य विपक्षी दल पीपीपी के प्रमुख बिलावल जरदारी भुट्टो ने 11 अप्रैल को कहा था कि उनकी पार्टी फांसी के खिलाफ है। 

ऐसे में भारत में गुस्सा पैदा होने स्वाभाविक है। किसी नागरिक तक उच्चायोग की पहुंच अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत मान्य प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया को नकार कर पाकिस्तान क्या साबित करना चाहता है। पाकिस्तान में कुलभूषण को लेकर ऐसा वातावरण बना दिया गया है कि लाहौर बार एसोसिएशन ने यह फैसला कर लिया है कि उसका मुकदमा कोई पाकिस्तानी वकील नहीं लड़ेगा। तो पूरा वातावरण कुलभूषण के विरुद्ध एवं भारत में बने स्वाभाविक वातावरण के प्रतिकूल है। एक ओर पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कहते हैं कि दोनों देश लंबे समय तक तनाव में नहीं रह सकते और दूसरी ओर इस रवैए के बीच कोई सामंजस्य नहीं है। बहरहाल, भारत सरकार की चुनौतियां इससे बढ़ गई है। 

सरकार ने देश से वादा किया है कि वह कुलभूषण को हर हाल में बचाएगी। हालांकि एमनेस्टी इंटरनेशनल से लेकर अनेक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान के रवैए की आलोचना की है। अमेरिका ने कहा है कि भारत के प्रयासों के कारण पाकिस्तान विश्व समुदाय में अलग-थलग पड़ रहा है, इसलिए खीझ में उसने कुलभूषण जाधव के साथ ऐसा किया है। यानी अभी तक दुनिया में कहीं से भी पाकिस्तान के रवैए का समर्थन नहीं है। भारत का कहना है कि जाधव भारतीय नौ सेना से सेवानिवृत होने के बाद ईरान के चाबहार में अपना कारोबार कर रहे थे। वहां से उन्हें अगवा करके पाकिस्तान लाया गया और उनके खिलाफ आतंकवाद फैलाने, जासूसी और तोडफ़ोड़ करने का आरोप लगाकर पाकिस्तानी सेना ने फांसी की सजा सुना दी। 

हैरानी की बात है कि पाकिस्तान इस बात का कोई सबूत उपलब्ध नहीं करा पा रहा है कि उसके यहां हुई किन-किन आतंकवादी घटनाओं में जाधव की संलिप्तता थी। स्वाभाविक है कि पाकिस्तान सुनियोजित तरीके से एक ऐसे भारतीय नागरिक को जिंदा पकड़े गए आतंकवादी के तौर पर पेश करना चाहता है, जिसकी पुख्ता पहचान भारत सरकार के पास हो और उसके जरिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की छवि खराब की जा सके। दरअसल पिछले करीब सालभर से पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया है।

 भारत ने उसे अपने यहां हुई तमाम आतंकवादी गतिविधियों के प्रमाण दे चुका है। कई जिंदा आतंकवादियों को पकडक़र उनके बयान पेश कर चुका है। सार्क देशों से लेकर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस आदि पाकिस्तान को चेतावनी दे चुके हैं। ऐसे में उसकी छवि दहशतगर्दों के पनाहगाह देश के रूप में बनती गई है। ऐसे में जाधव के जरिए शायद वह साबित करने की कोशिश कर रहा है कि भारत खुद आतंकवाद को बढ़ावा देता है। ऐसे में भारत के पास एक विकल्प हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में मामले को ले जाने का है। हेग न्यायालय ने इसे स्वीकार कर लिया तो स्थिति थोड़ी बदल सकती है।



 

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