भारतीय सेना ने मय सबूत दावा किया है कि उसने नियंत्रण रेखा पर नौशेरा सेक्टर में हमला कर बीते दिनों पाकिस्तान की दस सैनिक चौकियों को ध्वस्त कर दिया। माना जा रहा है कि इससे पाकिस्तान के मंसूबे कमजोर होंगे। हालांकि हमले की तारीख स्पष्ट नहीं की गई है, मगर माना जा रहा है कि दो भारतीय सैनिकों के शव क्षत-विक्षत किए जाने के नौ दिन बाद यानी नौ मई को भारतीय सेना ने यह हमला किया था। इसे दूसरा सर्जिकल स्ट्राइक बताया जा रहा है। सेना का कहना है कि पाकिस्तान इन्हीं चौकियों के जरिए आतंकियों को भारतीय सीमा में प्रवेश कराता रहा है।
कश्मीर के पहाड़ों पर बर्फ पिघलने लगी है और इस मौसम में आतंकियों की घुसपैठ तेज हो जाती है, इसलिए कहा जा रहा है कि इस हमले के बाद घुसपैठ पर कुछ लगाम लगेगी। कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए सरकार ने ऐसी सैनिक कार्रवाइयों को जरूरी बताया है। मगर वास्तव में इस हमले से पाकिस्तान की शह पर होने वाली आतंकी गतिविधियों पर कितनी लगाम लग पाएगी, देखने की बात है। भारतीय सेना की तरफ से दस चौकियां ध्वस्त करने संबंधी वीडियो दिखाए जाने के तुरंत बाद पाकिस्तान ने भारतीय दावे को खारिज कर दिया। हालांकि उससे ऐसी किसी घटना पर सहमति की उम्मीद नहीं की जा सकती। सितंबर में हुए सॢजकल स्ट्राइक को भी उसने इसी तरह नकार दिया था।
छिपी बात नहीं है कि पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर ढेर सारे आतंकी शिविर बना रखे हैं। पचास से ऊपर प्रशिक्षण शिविर भी चल रहे हैं। पाकिस्तानी सेना भारतीय सैनिकों का ध्यान बंटा कर और गांव वालों पर दबाव बना कर आतंकियों को भारतीय सीमा में प्रवेश कराने का प्रयास करती है। अगर भारतीय सेना इन शिविरों को ध्वस्त करने में कामयाबी हासिल करती है, तो काफी हद तक सीमा पार से होने वाली आतंकी घुसपैठ पर लगाम कसी जा सकती है। मगर दस चौकियों को ध्वस्त किए जाने के बाद भी पाकिस्तान के मंसूबे कमजोर हुए नजर नहीं आते। पिछले शनिवार को बड़ी संख्या में आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की, जिसमें मुठभेड़ के दौरान तीन भारतीय सैनिक और चार आतंकवादी मारे गए।
उससे एक बार फिर यही जाहिर हुआ कि पाकिस्तान में चल रहे आतंकी शिविरों पर नकेल कसने के लिए भारत की तरफ से जैसी कार्रवाई होनी चाहिए, वैसी हो नहीं पा रही। अब यह छिपी बात नहीं है कि आतंकवादियों के जरिए पाकिस्तान भारत में एक अघोषित युद्ध लड़ रहा है। पठानकोट हमले के बाद से ही भारत उसे अलग-थलग करने का प्रयास कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के इरादे जाहिर हो चुके हैं, कई देश उसे चेतावनी भी दे चुके हैं कि वह आतंकवाद को रोकने में मदद करे, पर वह अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहा।
ऐसे में भारत के महज सबक सिखाने की चेतावनी देने या नियंत्रण रेखा पर छिटपुट हमले कर यह जाहिर करने से काम नहीं चलेगा कि वह कठोर कदम भी उठा सकता है। आज की स्थितियों में युद्ध किसी के भी हित में नहीं हो सकता, पर आतंकी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए उसे व्यावहारिक रणनीति अपनाने की जरूरत है। उसे पाक अधिकृत कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर चल रहे तीन सौ से ऊपर आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने और पाकिस्तान के मंसूबों पर चोट करने के लिए व्यावहारिक कदम उठाने ही चाहिए।