पारा वाले थर्मामीटर और ब्लड प्रेशर नापने की मौजूदा मशीने जल्द ही अतीत की वस्तु बन जाएंगी। 2020 से इनका इस्तेमाल पूरी तरह से प्रतिबंधित हो जाएगा। इनके स्थान पर डिजिटल और बिना पारा वाली बीपी मशीनों का इस्तेमाल होगा। सरकार ने इस बारे में निर्देश जारी कर दिए हैं। पारा स्वास्थ्य एवं पर्यावरण दोनों के लिए नुकसान देह है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मिनामाटा समझौते के तहत पारा के इस्तेमाल को हतोत्साहित करना है, इस पर भारत समेत करीब 150 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। समझौते के तहत मेडिकल डिवाइसों में पारा पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है।
सिर्फ इंप्लांट होने वाली कुछ डिवाइसों में पारा के सीमित इस्तेमाल की छूट होगी क्योंकि उनमें पारा का विकल्प अभी उपलब्ध नहीं है। दरअसल इन उपकरणों की सुक्ष्म बैटरियों में पारा प्रयुक्त होता है। मंत्रालय ने अब इस आदेश के क्रियान्वयन की दिशा में पहल शुरू की है। एमसीआई के अनुसार मंत्रालय के आदेश पर सभी मेडिकल कॉलेजों और डॉक्टरों के पारा वाले थर्मामीटर और बीपी मशीने तथा अन्य उपकरणों के इस्तेमाल को बंद करने के लिए कहा गया है।
उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि इनके उपलब्ध विकल्पों का इस्तेमाल करें क्योंकि 2020 तक ये पूरी तरह से प्रतिबंधित हो जाएगी। मंत्रालय जल्दी ही इनके उत्पादन को बंद करने के लिए भी प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। संबंधित मंत्रालयों की मदद से यह कदम उठाया जाएगा। लेकिन पारा के दांतों में भरने पर रोक नहीं होगी। इसके अलावा वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए पारा का इस्तेमाल जारी रहेगा। साबुन एवं सौंदर्य प्रसाधनों में पारा की मात्रा प्रति मिलियन एक पार्ट से कम होगी। वहीं छोटे स्तर पर होने वाली गोल्ड माइनिंग में भी पारा का प्रयोग होगा।