देश में कौनसा शहर सबसे बेहतर तरीके से रहने लायक है और किसकी हालत खराब है, इसकी जानकारी जल्द ही मिलने वाली है। शहरी विकास मंत्रालय ने बेहतर शहरों की सूची जारी करने का फैसला किया है। इसके लिए 15 श्रेणियों में 77 मानकों पर शहर का आकलन होगा। पहले विभिन्न मानकों के आधार पर चार सूची संस्थागत (सरकारी), सामाजिक आर्थिक व भौतिक सुविधाओं की बनाई जाएगी।
इनके आधार पर उस शहर की श्रेणी यानी रैंक तय की जाएगी। सरकार ने बीते ढ़ाई साल में देश के शहरों को बेहतर बनाने के लिए अमृत, स्मार्ट सिटी, स्वच्छ भारत मिशन, हृदय और प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरों) से काफी धनराशि मुहैया कराई है। इन पांच प्रमुख योजनाओं में देश के सभी शहर आते हैं। शहरों में जीवन गुणवता को जानने के लिए कुछ मानक तय किए गए हैं।
इनमें संस्थागत व सरकारी स्तर पर मिलने वाली सुविधाओं के लिए सिटीजन चार्टर बना है। इस बारे में अधिकारियों ने पूरा ब्योरा शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू का सौंप इस पर मंगलवार को राष्ट्रीय कार्यशाला में विचार विमर्श हुआ। इस बारे में जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार जिन 15 श्रेणियों के सूचकांक बनाए गए है, उनमें पहचान व संस्कृति (ऐतिहासिक भवनों के रखरखाव, हर साल आने वाले पर्यटकों की संख्या) आर्थिक व रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, सार्वजनिक व खुली जगह, भूमि उपयोग, बिजली, परिवहन, जल आपूर्ति, स्वच्छता, ठोस कचरा निपटान, जनसंख्या, सुरक्षा व संरक्षा शामिल है।
इन सारे सूचकांकों को बाद में वर्गीकृत किया जाएगा? इन सभी अंकों को मिलाने पर जिसे 50 फीसदी अंक मिलेंगे, उसे शून्य, 50 से 75 फीसदी अंक वालों को 50 और 75 से 99 फीसदी अंक वालों को 75 और सौ फीसदी अंक वालों को एक रैंक दी जाएगी। सरकार का मानना है कि इस रेटिंग के बाद शहर अपना स्तर सुधारेंगे और नागरिकों का भी दबाव बढ़ेगा। इसके साथ उनमें जागरूकता भी आएगी।