मन पवित्र तो जीवन पवित्र

Samachar Jagat | Saturday, 20 May 2017 04:52:52 PM
Holy mind is holy

आज की इस चकाचौंध भरी दुनिया में बाहरी सुंदरता को बहुत महत्व दिया जा रहा है। इसे बहुत कुछ समझा जा रहा है, इस पर सब कुछ लुटाया जा रहा है, इसे सजाने-संवारने में समय और धन को बहुत खर्च किया जा रहा है। व्यक्ति अपने चेहरे को चमकाने के लिए चमत्कारिक काम करता है, वह दुनिया भर की चीजों के बारे में, औषधियों के बारे में और यहां तक की सौंदर्य प्रसाधनों के बारे में पूरी जानकारी रखता है, उनके प्रति सजग रहता है, उनके उपयोग के बारे में पूरी जानकारी रखता है, बेशक उसे कोई अच्छा विचार नहीं मिले, लेकिन उसे कोई अच्छी फेशियल क्रीम तो मिलनी ही चाहिए, बेशक उसे किसी खेल की जानकारी नहीं हो लेकिन अपने बालों को चमकाने के लिए सुगंधदार तेल की पूरी जानकारी रहती है, तेल से केवल बाल चमकते हैं जबकि खेल से तन भी चमकता है और मन भी चमकता है। 

आज जो बाहरी दिखावे का बोलबाला है इस पर पूरी दुनिया में बहुत बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है और ऐसे उत्पादों में घटिया और मानवता के विरुद्ध चीजों को शामिल किया जा रहा है, अनेक निर्दोष जानवरों की बलि ली जा रही है, यह कैसी तन को सुुंदर बनाने की मुहिम है। एक सामान्य परिवार में जितना बजट रसोई पर खर्च होता है, उससे कहीं ज्यादा तो चेहरों को गौरा करने में, चमकाने में और सुंदर बनाने में खर्च हो रहा है।

 यदि व्यक्ति शुद्ध-सात्विक शाकाहार भोजन ले तो फिर न तो किसी सौंदर्य प्रसाधन की जरूरत है और न ही किसी अन्य प्रकार के दिखावे की। मनुष्य का तन विचार से चमकता है, संस्कार से चमकता है, प्यार से चमकता है, सद्व्यवहार से चमकता है और शुद्ध आहार से चमकता है। जब कोई व्यक्ति सद्विचार को अपनाता है, अच्छे संस्कारों को अपनाता है, निश्छल प्यार से अपनाता है, सद्व्यवहार को अपनाता है और शुद्ध-सात्विक शाकाहार को अपनाता है तो न केवल उसका तन चमकता है बल्कि मन भी चमकता है क्योंकि इन सभी शाश्वत बातों से शरीर में पोजिटिव एनर्जी बड़ी मात्रा में सृजित होती है, शक्ति और स्फूर्ति का सृजन होता है, सुख और शांति का सृजन होता है और खुशी और मुस्कुराट का सृजन होता है।

 इन सबसे ही भावनाओं को जन्म होता है, भावों का जन्म होता है, विचारों का जन्म होता है और जब ये सब कुछ अच्छे होंगे तो फिर व्यक्ति का मन भी अच्छा होगा और जब व्यक्ति का मन अच्छा होता है तो न केवल तन अच्छा होता है बल्कि उसका सब कुछ ही अच्छा होता है अर्थात् उसका जीवन ही अच्छा हो जाता है। इसलिए तन को चमकाएं अच्छी बाते हैं, तन को सजाएं अच्छी बात है। इत्र की सुगंध आसपास पहचान करवाती है जबकि चरित्र की सुगंध सारे जहान में पहचान करवा देती है।

प्रेरणा बिन्दु:-
इत्र तेरी खुशबू से
गली में खास हो गया
चरित्र तेरी खुशबू से
जहां में पास हो गया।



 

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