केंद्र सरकार ने रणनीतिक और संवेदनशील आंकड़ों को छोडक़र बाकी सभी आंकड़ों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने का फैसला किया है। इसका फायदा शोधकर्ताओं एवं शोध संस्थानों को होगा। साथ ही कोई भी व्यक्ति या कंपनियां इन आंकड़ों के इस्तेमाल से वेल्यू एडेड प्राडक्ट बनाकर बेच सकेंगे।
सरकार का तर्क है कि आंकड़े सार्वजनिक होने से वे किसी न किसी रूप में विकास के कार्य में मददगार शामिल होंगे। सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अनुसार मंत्रालय की वेबसाइट ‘‘डाटा डाट जोओवी डाट इन’’ पर ये आंकड़े उपलब्ध है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि पहले यह सिर्फ सरकारी एजेंसियों के लिए ही थे। बाकी लोगों को इन्हें इस्तेमाल की सुविधा नहीं थी, लेकिन अब यह नीतिगत फैसला लिया गया है कि इन्हें सभी के लिए उपलब्ध कराया जाए। अब कोई भी व्यक्ति इस वेबसाइट पर जाकर अपनी जरूरत के आंकड़े हासिल कर सकता है। अभी तक 42 हजार 820 किस्म के आंकड़े वेबसाइट पर डाले जा चुके हैं।
इसमें केंद्र के विभागों के अलावा राज्यों से जुड़ आंकड़े भी अपलोड हो रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों एवं विभागों से कहा है कि जो आंकड़े, संवेदनशील नहीं है या रणनीतिक महत्व के नहीं है, उन्हें इस वेबसाइट पर डाला जाए। सभी मंत्रालयों के मुख्य डाटा अधिकारियों से कहा गया है कि वे नियमित रूप से सरकारी आंकड़ों को इस वेबसाइट पर डालें। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने हाल में सभी विभागों के मुख्य डाटा अधिकारियों को इस बारे में प्रशिक्षित भी किया था।
यहां यह भी बता दें कि आंकड़ों के इस्तेमाल के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। उपयोगकर्ता को सिर्फ वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होगा। आंकड़ों में आम बजट से लेकर वाहनों के पंजीकरण और टीकाकरण तक के हर किस्म के आंकड़े हैं। इन आंकड़ों के उपयोग से विभिन्न किस्म के डाटा प्रॉडक्ट तैयार किए जा सकते हैं। मसलन जनसंख्या के आंकड़ों को ही लें।
इन आंकड़ों से सामाजिक और आर्थिक प्राडक्ट तैयार हो सकते हैं, जो किसी योजना और व्यवसाय के हिसाब से महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इससे शोधकर्ताओं को सहायता तो मिलेगी ही, साथ ही समस्याओं के समाधान के लिए योजनाओं का खाका तैयार करने में भी मदद मिलेगी।