मौसम विभाग ने दिए अच्छी बारिश के संकेत

Samachar Jagat | Tuesday, 25 Apr 2017 12:53:50 PM
Good weather signs given by meteorological department

भारतीय मौसम विभाग द्वारा पिछले सप्ताह जारी पूर्वानुमान के मुताबिक देशभर में अच्छी बारिश होगी। पूर्वानुमान में कहा गया है कि इस बार देश में 96 फीसदी दीर्घावधि औसत बारिश होगी। हालांकि, वर्ष 2016 में भारतीय मौसम विभाग ने सामान्य से ज्यादा बारिश का अनुमान जताया था, लेकिन सामान्य बारिश ही हो सकी। दक्षिण-पश्चिम मानसून ऋतु वर्ष 2017 के प्रथम चरण का पूर्वानुमान जारी करते हुए भारतीय मौसम विभाग ने महानिदेशक के.जे. रमेश ने कहा कि पूरे देश में मानसून सीजन यानी जून से सितंबर तक अच्छी बारिश होगी। 

इस साल देश में 96 फीसदी दीर्घावधि औसत बारिश का अनुमान है। यहां यह बता दें कि 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच दीर्घावधि बारिश को ‘सामान्य’ माना जाता है। 96 फीसदी से को ‘सामान्य से कम’ और 104 से 110 फीसदी दीर्घावधि बारिश को ‘सामान्य से ज्यादा’ माना जाता है। जून के आरंभ में विभाग की ओर से दूसरे चरण का पूर्वानुमान जारी किया जाएगा, जिसमें जुलाई और अगस्त महीने में होने वाली बारिश की मात्रा के बारे में बताया जाएगा, साथ ही पूरे मानसून के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में होने वाली बारिश का भी अनुमान जारी किया जाएगा। 

मौसम विभाग के मुताबिक अभी जो ताजा हालात है, वह इस साल मानसून सीजन के उत्तरार्ध के दौरान कमजोर अलनीनो स्थितियों के विकास का संकेत दे रहा है। हालांकि मौसम विभाग का कहना है कि अलनीनो और भारतीय मानसून के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है और 34 फीसदी अलनीनो वर्षांे के दौरान मानसून सामान्य या सामान्य से अधिक रहा है। मौसम विभाग के अनुसार पिछले साल मानसून ऋतु के उत्तरार्ध में कमजोर लानीनो स्थितियां बनी थी, जो दिसंबर आते-आते अपने चरम पर थी और उसके बाद कमजोर होनी शुरू हो गई। 

वर्तमान में भूमध्य रेखीय प्रशांत पर तटस्थ स्थितियां बनी हुई है। प्रशांत के ऊपर वायुमंडलीय स्थितियां, तटस्थ अलनीनो दशाएं भी प्रदर्शित कर रही है। मौसम विभाग ने यह भी कहा है कि नवीनतम पूर्वानुमान से मानसून सीजन के मध्य में कमजोर पॉजिटिवी आईओडी (हिंद महासागर द्विधु्रव) के संकेत मिल रहे हैं, जिसके कुछ और माह तक बने रहने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार पॉजीटिव आईओडी स्थितियों के सामान्य या सामान्य से अधिक मानसून के लिए अनुकूल होने की संभावना है। हालांकि, विभाग अपने दूसरे चरण के पूर्वानुमान के दौरान अलनीनो और आईओडी के विकास की और जानकारी दे पाएगा। 
मौसम विभाग की ओर से पिछले साल जारी सामान्य से अधिक बारिश के पूर्वानुमान के विपरीत देश में औसतन सामान्य बारिश हुई थी, वहीं दक्षिण प्रायद्वीप में कम बारिश हुई थी और तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के कई हिस्सों में सूखे की स्थिति बन गई थी। इस साल बारिश के अच्छे वितरण के पूर्वानुमान के बीच देश के ये हिस्से अच्छी बारिश की अपेक्षा में है। देश में मानसून के आगमन की सामान्य तिथि एक जून है। अगर स्थितियां सामान्य रही तो एक जून को केरल में दस्तक देने वाला मानसून जुलाई मध्य तक पूरे देश को कवर कर सकता है। 

भारत सरकार के मौसम विभाग के अनुसार प्रशांत महासागर में मानसून को प्रभावित करने वाले अलनीनो बनने की संभावना क्षीण है। मौसम विभाग के अनुसार पहले यह पूर्वानुमान था कि जुलाई के अंत तक अलनीनो विकसित हो सकता है। इसकी संभावना 50 फीसदी थी। लेकिन नए पूर्वानुमान के अनुसार अलनीनो बनने की संभावना महज 30 प्रतिशत रह गई है। यहां यह बता दें कि अलनीनो में प्रशांत महासागर में समुद्री की सतह गर्म हो जाती है, जिससे हवाओं का रास्ता और रफ्तार बदल जाती है। इस कारण मौसम का चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है। मौसम के बदलाव की वजह से कई जगह सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर बाढ़ आती है। 

यहां यह बता दें कि इस बार मौसम विभाग ने मानसून के पूर्वानुमान में पांच मॉडलों का इस्तेमाल किया है। इनमें उत्तरी अटलांटिक और उत्तरी प्रशांत महासागर के मध्य समुद्र सतह का तापमान, भूमध्य रेखीय, दक्षिणी हिंद महासागर का तापमान, पूर्व एशिया में औसत समुद्र स्तर दबाव, उत्तर-पश्चिमी यूरोप भूमि सतह वायु तापमान तथा भूमध्य रेखीय प्रशांत उष्ण जल परिमाण शामिल है। यहां यह उल्लेखनीय है कि मौसम विभाग द्वारा लघु अवधि के पूर्वानुमान अब काफी बेहतर हो गए है, लेकिन मानसून की भविष्यवाणी अभी भी उतनी सटीक नहीं हुई है। यदि पिछले 12 सालों के दौरान यदि मौसम विभाग की भविष्यवाणियों पर नजर डालें तो सिर्फ पांच बार ही सही निकली है। 

यानी सफलता का प्रतिशत महज 40 फीसदी है। मौसम विभाग दीर्घ अवधि की भविष्यवाणी अप्रैल के तीसरे पखवाड़े में जारी करता है, जबकि मानसून इसके एक महीने के बाद हिंद महासागर में सक्रिय होता है। मौसम विभाग की 2005 से 2016 तक की भविष्यवाणियों को देखें तो पांच साल ही ऐसे हैं, जब वे सही निकली। मानसून की भविष्यवाणी में विभाग 5 फीसदी की मॉडलीय त्रुटि की गुंजाइश रखता है। जिसका तात्पर्य यह होता है कि जितनी फीसदी बारिश का दावा किया गया है, उससे 5 फीसदी कम-ज्यादा बारिश हो सकती है। 

मौसम विभाग के अनुासर भविष्यवाणी में त्रुटि पहले से कम हुई है। मसलन 2007-16 के दौरान त्रुटि का प्रतिशत 6.24 रहा, जबकि 1997-2006 में यह 8.48 फीसदी था यानी इसमें सुधार हुआ है। मौसम विभाग की इस बार की भविष्यवाणी से देश के किसानों, अर्थव्यवस्था और पानी की किल्लत से जुझ रहे प्रदेशों के लिए एक अच्छी खबर है कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रहेगा। इस साल मानसून सामान्य रहने से ग्रामीण मांग में तेजी जारी रह सकती है। साथ ही इससे रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगस्त में प्रमुख नीतिगत दर (रेपो) में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफा-एम एल) ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है। रबी की फसल में किसानों की आमदनी 13 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।


 



 

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