यह दुनिया विश्वास से चलती है
यह दुनिया आस से चलती है
बढ़ते रहें नित निर्भिकता से
यह दुनिया प्रयास से चलती है
आज दुनिया जो सबसे बड़ी समस्या से गुजर रही है, उसका नाम भय है और यह एक ऐसी महामारी है जो हर किसी के लगी हुई है। भय ने सबको अपनी गिरफ्त में ले रखा है, सबको खोखला कर रहा है। इस महामारी से प्रत्येक वर्ग का मनुष्य ग्रसित है यद्यपि उसके पास सब कुछ है, उसके पास हर वह चीज है जो वह चाहता है, लेकिन सब चीजें होने के बावजूद भी वह भय से जकड़ा है, वह सोचता है-मेरा स्वास्थ्य खराब हो सकता है, किसी की बीमारी देखकर उसके मन में आने लगती है कि मुझे भी यह बीमारी हो सकती है, उसके मन में इस प्रकार की कमजोरी और भय के विचार आने लगते हैं और फिर उसका सोचना सही हो जाता है।
ऐसे ही वह सोचता है, मन में भय बैठा लेता है कि मेरी नौकरी चली जाएगी, मुझे हटा दिया जाएगा, मेरा परमोशन नहीं होगा, मेरी सेवाओं से बोस संतुष्ट नहीं होगा और ऐसे में वह ठीक से, निष्ठा से और ईमानदारी से अपना काम नहीं कर सकता है और फिर यही वजह बन जाती है, उसको काम से हटाए जाने की।
व्यक्ति के पास सब कुछ है, शारीरिक और मानसिक क्षमताएं, लेकिन अफसोस कि वह उनको भूला बैठता है, उनको महसूस नहीं करता है, उनको खास महत्व नहीं देता है, उनको दिल से स्वीकार नहीं करता है और यहां तक कि उनसे प्यार नहीं करता है, मन में उसके चलता रहता है कि क्या पता मैं सफल होऊंगा कि नहीं।
वह तैयारी करना, खाना-पीना, रहना, ड्यूटी करना, यात्रा करना, सामाजिक दायित्व निभाना, पारिवारिक जिम्मेदारी निभाना, देश-दुनिया के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने सहित सभी कामों के साथ भय को भीतर तक घुसा लेता है, मन में अच्छे से बैठा लेता है और सोचता है कि क्या पता मैं सफल होऊंगा कि नहीं, और यही कारण है कि वे जिंदगी में कभी सफल नहीं हो पाते हैं। आम आदमी के साथ यही हो रहा है कि वह भय में जन्म लेता है, भय में जीवन गुजारता है और भय में ही जीवन को छोडक़र चला जाता है। आइए, निर्भिकता से जीवन को सार्थक और सफल बनाने क्योंकि निर्भिकता में आनंद है, समृद्धि है और जीवन है।
प्रेरणा बिन्दु:-
कोई जिंदगी को ढोता है
कोई जिंदगी भर रोता है
हकीकत तो यही है जीवन की
आदमी जो करता है, वही होता है।