किसी भी राष्ट्र या राज्य के विकास की गति उसकी सडक़ों की रफ्तार से तय होती है और अच्छी बात है कि हमारे देश के ज्यादातर राज्यों ने इस सच को पहचान लिया है। नई-नई सडक़ों और फ्लाईओवर का बढ़ता संजाल इसका प्रमाण है। उन्होंने स्वीकार कर लिया है कि विकास की दौड़ में रफ्तार पहली शर्त है और यह बिना अच्छी सडक़ों के संभव नहीं है। उत्तर प्रदेश इस सोच के क्रियान्वयन में काफी आगे निकला दिखाई दे रहा है।
तेजी से वैश्विक होते समय में जब हम चीन-जापान जैसे देशों से होड़ की बात करते हैं, स्वीकार करना होगा कि यह होड़ हमारी ऊबड़-खाबड़ सडक़ों पर चलकर संभव नहीं है। टूटी-फूटी सडक़ें न रफ्तार बढऩे देती हैं, न कारोबार। नोएडा-आगरा के बाद यूपी के दूसरे यानी आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे की शुरुआत इसी सोच की अगली बड़ी कड़ी है।
चीन को भी एक्सप्रेस-वे सिस्टम को अपनाए हुए अभी बहुत ज्यादा वक्त नहीं बीता है, एक्सप्रेस-वे की रफ्तार ने ही उसके आर्थिक विकास को नए आयाम दिखा दिए। चीन ने 11,050 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे सिर्फ 2015 में ही बना दिया था। इस लिहाज से 23 महीने में 305 किलोमीटर लंबा हाईटेक एक्सप्रेस-वे धीमा लग सकता है, पर भारतीय संदर्भ में यह एक रिकॉर्ड है। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे की कई खास बातें हैं।
305 किलोमीटर लंबी यह खास सडक़ आगरा से लखनऊ की दूरी साढ़े तीन घंटे कम कर देगी। इसके पूरे काम के बहुत तेजी से हो जाने के अलावा यह भी एक रिकॉर्ड है कि तेज रफ्तार की प्रतीक इस एक्सप्रेस-वे के लोकार्पण पर हवा से भी तेज गति से चलने वाले हमारी वायुसेना के कई लड़ाकू विमान इस पर उतरे और फिर यहां से उड़ान भरी।
इस तरह यह एक्सप्रेस-वे उन हाईवे में शामिल हो गया है, जिन पर आपात स्थितियों में लड़ाकू विमान भी लैंडिंग या टेकऑफ कर सकेंगे। इसके लिए इस मार्ग के 3.3 किलोमीटर हिस्से को खास तकनीक से तैयार किया गया है। घने कुहासे से निपटने वाले ट्रैफिक सिस्टम के साथ यहां दुर्घटनाएं कम करने के भी विशेष इंतजाम किए गए हैं। इतना ही नहीं, महत्वपूर्ण यह भी है कि एक बेटे ने पिता के जन्मदिन पर तोह$फे के रूप में इसका लोकार्पण करवाने का वादा किया और उसे पूरा भी कर दिया।
वर्तमान राजनीतिक हालात में भी इसके कई मायने निकाले जाएंगे। इसे समाजवादी पार्टी में उभरी अंतर्कलह के बाद उसकी अगली पारी के टेकऑफ के रूप में भी देखा जा सकता है, जब पिता मुलायम भसह यादव, पुत्र अखिलेश यादव, चाचा शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव पहली बार एक मंच पर एक साथ बहुत सहज माहौल में दिखाई दिए। इस एक्सप्रेस-वे का महत्व इतना ही नहीं है।
इसकी शुरुआत के साथ ही कई नए काम स्वत: होने जा रहे हैं। दिल्ली से लखनऊ या आगरा से लखनऊ की दूरी कम और आरामदेह हो जाने के कारण इसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कायांतरण के एक औजार की तरह भी देखा जाना चाहिए। इस एक सडक़ के बन जाने मात्र से भविष्य में व्यापारिक संभावनाओं वाले इस इलाके के कई शहर सीधे और सुगम तरीके से अपनी राजधानी से जुड़ जाएंगे और उनके विकास को नई रफ्तार मिलेगी।
यह लखनऊ ही नहीं, वाराणसी जाने वाले पर्यटक की भी आगरा की राह आसान करेगा और जाहिर सी बात है कि यह मार्ग निवेशकों को यूपी के और करीब लाने में सहायक होगा। रफ्तार बढ़ेगी तो न सिर्फ प्रदूषण का स्तर कम होगा, बल्कि इसका असर इस मार्ग पर वाहनों के कारण सबसे ज्यादा कार्बन की मौजूदा स्थिति पर भी पड़ेगा। चुनावी माहौल में यह समूचे उत्तर प्रदेश के लिए उम्मीदों की रफ्तार का भी एक्सप्रेस-वे साबित होगा।