विकास दर पर नोटबंदी का साया

Samachar Jagat | Tuesday, 06 Dec 2016 04:45:27 PM
demonetisation can be seen on growth rate

सूखे की मार से उबर रही अर्थव्यवस्था को नोटबंदी प्रभावित कर सकती है। माना जा रहा है कि कालेधन पर रोक के इरादे से 500 और 1000 रुपए के नोटबंद करने के सरकार के फैसले का असर चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर पड़ सकता है।

 ऐसे में सरकार के लिए चालू वित्त वर्ष के विकास दर के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल होगा। साथ ही विकास दर में गिरावट आई तो दुनिया में सर्वाधिक तेज गति से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था का ताज भी भारत से छिन सकता है। केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) ने राष्ट्रीय आय के जो ताजा आंकड़े जारी किए उनसे पता चलता है कि वित्त वर्ष 2016-17 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही है, जो कि पिछले साल की समान अवधि में 7.5 प्रतिशत की तुलना में कम है। 

वैसे संतोषजनक बात यह है कि चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की स्थिति में सुधार आया है। इससे विकास दर के और तेजी से बढ़ने की उम्मीद बंधी, लेकिन 8 नवंबर को 500 और 1000 के नोटबंद करने की सरकार की घोषणा के बाद जिस तरह निजी उपयोग व्यय में गिरावट आने की आशंका है, उसे देखते हुए तीसरी और चौैथी तिमाही में विकास दर पर असर पड़ने की संभावना है।

 कुछ विशेषज्ञों को तो यहां तक कहना है कि तीसरी तिमाही में विकास दर घटकर साढ़े पांच प्रतिशत के आसपास तक आ सकती है। सरकार ने आर्थिक समीक्षा 2015-16 में चालू वित्त वर्ष के दौरान 7 से 7.5 प्रतिशत वार्षिक दर का लक्ष्य रखा है। ऐसे अगर तिसरी और चौथी तिमाही में विकास दर घटी तो इस लक्ष्य को हासिल कर पाना मुश्किल होगा। वर्ष 2015 में चीन को पीछे छोड़ भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया था। 

जीडीपी के अग्रिम अनुमान के आंकड़े सात जनवरी को और तीसरी के आंकड़े 28 फरवरी को जारी किए जाएंगे। हालांकि केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि नोटबंदी का असर जीडीपी पर पड़ने की आशंका नहीं के बराबर है। सीएसओ के विशेषज्ञों का कहना है कि जो विशेषज्ञ नोटबंदी के जीडीपी आंकड़ों पर असर की बात कह रहे हैं, वे बिना आंकड़ों के ऐसे बयान दे रहे हैं। 

उनका कहना है कि लोग कुछ धारणाएं बनाते हैं और उसके आधार पर बयान देते हैं। जब आंकड़े आएंगे तब विभाग की ओर से बयान दिया जाएगा। केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम का कहना है कि पहली छमाही के वास्तविक आंकड़े विभाग के पास है। 

इससे निरंतर अच्छा प्रदर्शन दिखाई देता है। दूसरी छमाही के बारे मेें हमें देखना होगा, क्योंकि कई तरह की अनिश्चितताएं है। हमें कुछ भी कहने से पहले इनका विश्लेषण करना होगा। कुल मिलाकर नोटबंदी के सरकार के फैसले के बाद तीसरी और चौथी तिमाही में विकास दर में गिरावट की आशंका भी जताई जाने लगी है।
 



 

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