साइबर सुरक्षा में सेंध

Samachar Jagat | Wednesday, 07 Dec 2016 04:38:40 PM
Cyber security breach

भारत सरकार लगातार आम आदमी को इंटरनेट और मोबाइल जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को बढ़-चढक़र इस्तेमाल करने की नसीहत दे रही है। सरकार डिजिटल इंडिया और कैशलेस इकोनॉमी की तरफ कदम बढ़ा रही है, वहीं साइबर सुरक्षा पर खतरा बढ़ता जा रहा है। 

तब उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता और निजता की सुरक्षा करना और भी अहम तकाजा है। अमेरिकी साइबर सिक्योरिटी कंपनी ‘फायर आई’ ने दावा किया है कि कुछ ठगों ने भारत के 26 बैंकों के कई ग्राहकों की खुफिया जानकारी उडा ली है। 2017 सिक्योरिटी लैंडस्केप एशिया-पेसिफिक की अपनी रिपोर्ट में कंपनी का कहना है कि आने वाले सालों में भारत दुनिया में फिशिंग व हैकिंग के मामले में सबसे ज्यादा निशाने पर रहने वाला है।

 ताजा उदाहरण यह है कि देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी और उसके एक महत्वपूर्ण नेता का अकाउंट भेद दिया जाए और हमारी सरकार को कानोंकान खबर तक न हो। सरकार का साइबर सुरक्षा प्रकोष्ठ हैकरों से निपटने में कारगर साबित क्यों नहीं हो पा रहा है। दुनिया भर में 1.8 अरब लोग सक्रिय तौर पर सोशल नेटवर्क साइटों से जुड़े हैं और 64 प्रतिशत इंटरनेट यूजर फेसबुक, ट्विटर, लिंक इन जैसी सोशल साइटों के सदस्य है।

 लिहाजा हैकरों का पसंदीदा निशाना बन गई है। सोशल मीडिया यूजर के दोस्तों का नेटवर्क हैकरों के लिए हैकिंग का सबसे आसान रास्ता होता है। साइबर अपराधी सोशल मीडिया अकाउंट में सेंध लगाने के ये प्रमुख तरीके अपनाते है। सेंध लगाने के प्रमुख तरीकों में पहला है-लाइफ जैकिंग-इसमें अपराधी जब फेसबुक पर फर्जी लाइक बटन का वेबपेज पोस्ट करते हैं। 

जो यूजर डोंट लाइक पर भी क्लिक करता है, इससे वायरस डाउनलोड हो जाता है। दूसरा है, लिंक जैकिंग-इसमें किसी विश्वसनीय वेबसाइट पर वायरस युक्त लिंक भेजकर हैकर फर्जी वेबसाइट पर ले जाते हैं। इससे तमाम वायरसों के जरिए यूजर हैकरों की जानकारी चुरा लेते हैं। तीसरा है फिशिंग-इसमें फेसबुक पेज पर पोस्ट या ट्विटर पर ट्वीट कर खुद को विश्वसनीय संस्था बताकर यूजरनेम, पासवर्ड क्रेडिट-डेबिट कार्ड की जानकारी चुराने का प्रयास है। चौथा है सोशल स्पैम- इसमें सोशल नेटवर्क और लोकप्रिय वेबसाइटों पर आने वाले अवांछित स्पैम है। 

इसमें यूजरों से कमेंट, चैट करने को कहा जाता है। यही नहीं रूस, चीन, इजराइल आदि देशों की सरकारें साइबर आर्मी बनाकर जासूसी कर रही है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए द्वारा विदेशी नेताओं, मिशन के फोन, कंप्यूटर हैक करना इसका उदाहरण था। सरकार समर्थित साइबर हैकर आम जनता को भी निशाना बनाते हैं।

 इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार 6 लाख फेसबुक अकाउंट रोज हैक होते हैं। दस में से एक यूजर कभी न कभी साइबर हैकिंग का शिकार हुआ है। यूजर ऑनलाइन दोस्तों के लिंक या मैसेज पर यकीन करते हैं। प्राप्त सूचनाओं के अनुसार भारतीय कंपनियों का इस बारे में लचर रवैया है। 

2015 में 72 फीसदी कंपनियों पर साइबर हमले हुए है। देश में 58 फीसदी कंपनियां ऐसी है, जो आईटी खर्च का 5 प्रतिशत भी साइबर सुरक्षा पर खर्च नहीं करती है। यही नहीं 78 फीसदी कंपनियों के पास हैकिंग से निपटने की आपात योजना नहीं है। देश की सबसे बड़ी दूसरे नंबर की पार्टी और उसके नेता का अकाउंट होने की घटना के अलावा हैकिंग की इस साल दो बड़ी घटनाएं ऐसी है जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता। 

इनमें से एक 26 अगस्त 2016 की घटना है, जिसमें भारत को फ्रांस से मिलने वाली स्कोर्पोन पनडुब्बी की जानकारी लीक होने की बात सामने आई। इसके अलावा 11 सितंबर 2016 को पाकिस्तानी हैकरों ने केनरा बैंक की साइट हैक की और इलेक्ट्रानिक लेन-देन ब्लॉक करने की कोशिश की। नेशनल पेमेंट कमीशन की साइट में भी सेंध लगी। इन स्थितियों के मद्देनजर साइबर सिक्योरिटी को मजबूत करना हमारी सबसे बड़ी चुनौती है।

 हमारे बैंकिंग सिस्टम के लिए फिशिंग कोई नई बात नहीं है। गाहे-बगाहे ठगी की ऐसी साइट्स पकड़ में आ जाती है। बैंकिंग सिस्टम को हैकिंग और फिशिंग जैसे खतरों से बचाया भी जा सकता है। बशर्ते इस दिशा में पुख्ता तैयारियां हो। भारत सरकार ने इस दिशा में काफी देर से सोचना शुरू किया और बस तीन साल पहले सन् 2013 में देश की पहली साइबर सुरक्षा नीति बनी। 

इसके बाद इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांन्स टीम, नेशनल साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर, से लेकर टेलीकम्युनिकेशन और रक्षा क्षेत्र में भी काफी काम हुआ। लेकिन चीन और रूस के हैकरों की कारस्तानियों को देखते हुए इस तरह के सेटअप आज तकरीबन आउटडेटेड ही मानी जाएंगी। हर साल संसद में बताया जाता है इस वर्ष एक हजार सरकारी वेबसाइट हैक हुई तो पिछले साल डेढ़ हजार हुई थी। वर्ष 2015 में राज्यसभा में बताया गया कि साइबर अटैक के खतरों से निपटने के लिए नेशनल साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर भी बनाया जाना है। 

जिसे मंत्रालय की स्वीकृति मिल चुकी है। लेकिन यह अभी तक नहीं बना है। अभी हमारे देश में भारी संख्या में आउटडेटेड कंप्यूटर सिस्टम चल रहे हैं, जो साइबर ठगों का सबसे आसान टारगेट है। यही हाल मोबाइल फोन के सेटों में है। लोग सस्ते मोबाइल फोन से ही काम चलाते हैं, जिनकी सुरक्षा व्यवस्था में लगातार झोल पकड़े जाते रहे हैं। 

जाहिर है हमारी साइबर सिक्योरिटी की व्यवस्था सुस्त सरकारी तंत्र में घटिया कोऑर्डिनेशन का शिकार है। रही सही कसर घटिया क्वालिटी के कंप्यूटर और मोबाइल पूरी कर दे रहे हैं। ऐसे में जब सरकार डिजिटल इंडिया और कैशलेस इकोनॉमी की तरफ कदम बढ़ा रही है तो सरकार को साइबर सुरक्षा को अपने अजेंडे में सबसे ऊपर रखना होगा और इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा कि वे किसी अनजान लिंक पर क्लिक न करें और न ही अनजान लोगों से जुड़े। 

सोशल साइट यूजरों को सतर्कता बरतने को कहें साथ ही फेसबुक, ट्विटर, लिंकइन जैसी साइटों पर पासवर्ड बदलते रहें और मेलवेयर से बचाने वाले एंटी वायरस का इस्तेमाल जरूर करें। आम जनता में इसकी जागरूकता के लिए हरसंभव उपाय करें।



 

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